सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरPRAKASH SINGH/AFP/Getty Images

2019 चुनावों के आगाज में चंद दिन बचे हैं और यह साल मोदी सरकार के लिए काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और यह मोदी सरकार के लिए किसी अग्‍निपरीक्षा से कम नहीं है. ऐसे में चुनाव से पहले सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई बड़ी योजनाओं का एलान कर सकती है.

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार और कांग्रेस की जीत के पीछे कर्ज माफी मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. ऐसे में मोदी सरकार किसानों को राहत देने के दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकार कम कीमतों पर फसल बेचने वाले किसानों को उनके नुकसान की भरपाई के लिए एक निर्धारित रकम देने की भी स्कीम ला सकती है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से मिलने गुरुवार को उनके आवास पर पहुंचे थे. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी थे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ बैठक की थी. इस दौरान संबंधित विभागों के आला अफसरों मौजूद थे.

इस बैठक में किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्पों पर चर्चा की गई. ऐसे में मोदी सरकार किसानों के लिए एक अलग से स्कीम लाने पर विचार कर रही है. इस स्कीम के तहत कम कीमत पर फ़सल बेचने वाले किसानों के नुकसान की भरपाई की जाएगी. इसके लिए सरकार किसान के बैंक खाते में सीधे एक निर्धारित रकम ट्रांसफर करेगी.

सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार इस दिशा में कदम उठाने लिए जल्द ही अलग-अलग मंत्रालयों के साथ बैठक करके इस योजना का खाका तैयार करेगी. हालांकि नीति आयोग की तरफ से भी मोदी सरकार को सुझावा गए मीडियम टर्म स्ट्रैटिजी के जरिए किसानों को राहत दी जाए. इसके तहत अगर फसलों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरती हैं तो किसानों को सब्सिडी देकर राहत दी जाए.

बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक मोदी सरकार किसानों को आय में कुछ मदद करने की संभावना तलाश रही है. इसके लिए तेलंगाना की 'रैयत बंधु' योजना को थोड़ा बदलाव कर देशभर में लागू करने पर विचार हो रहा है. 'रैयत बंधु' यानी कृषक मित्र योजना के तहत तेलंगाना सरकार किसानों को प्रति वर्ष प्रति फसल 4000 रुपये एकड़ की राशि देती है. यानी तेलंगाना के किसानों को हर साल 8000 रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं. इसमें जोत के रकबा से सरकार को कोई लेना-देना नहीं होता है. पिछले साल राज्‍य सरकार की ओर से इस योजना पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना की घोषणा 2019-20 के अंतरिम बजट में या फिर शीत सत्र के समापन के बाद की जा सकती है. इसके अलावा पहले चरण में लघु और सीमांत किसान को शामिल किया जा सकता है. बता दें कि देश भर में करीब 9 से 11 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. इससे पहले तेलंगाना की तर्ज पर ओडिशा और झारखंड की सरकारों ने भी रैयत बंधु जैसी योजना लागू करने का एलान कर चुकी हैं.

इसके अलावा भी किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्‍पों पर मंथन जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों और अधिकारियों के बीच छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में फसल बीमा देने और उधारी योजनाओं में कुछ फेरबदल करने पर भी चर्चा हुई है. बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से अलग-अगल फसलों के लिए 2 से 5 फीसदी तक की दर से प्रीमियम वसूला जाता है.

सूत्रों का कहना हैं कि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में एक प्रस्तुति दी तथा बैठक के दौरान कृषक समुदाय के सामने आ रही दिक्कतों तथा लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें दी जा सकने वाली राहतों पर चर्चा की.

इसके अलावा अगर किसान को फसल का दाम एमएसपी से कम मिलता है तो इस अंतर को सरकार दे सकती है. केंद्र और राज्य लागत को 70 और 30 फीसदी के हिसाब से बांट सकते हैं.

हाल में खबर आई थी कि सरकार बड़े पैमाने पर कर्जमाफी की भी योजना बना रही है. साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी बदलाव की तैयारी हो रही है.

सरकार छोटे किसानों को फर्ट‍िलाइजर, पेस्‍टीसाइट और मजदूरों के खर्च के ल‍िए डायरेक्‍ट बेन‍िफ‍िट ट्रांसफर के जर‍िये रकम दे सकती है. हालांक‍ि केंद्र और राज्‍य के बीच खर्च को बांटने को लेकर कुछ समस्‍या आ सकती है.

वहीं किसानों के मुद्दे पर बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की थी. कृषि मंत्रालय किसानों के ल‍िए कई मॉडलों का अध्‍ययन कर र‍हा है. 7 राज्‍यों में किसानों की कर्जमाफी कर दी गयी है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को आय मुहैया कराने की योजना पर सरकारी खजाने पर शुरुआती दौर में करीब 600 से 700 अरब रुपये का बोझ आने का अनुमान है. इस योजना में आने वाली कुल खर्च में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी, इस पर विचार हो रहा है.