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ANI

लोकसभा चुनाव 2019 के महासमर के बीच विभिन्न मंचों पर कांग्रेस पार्टी का नजरिया सामने रखने वाली प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार (16 अप्रैल) को ट्विटर पर सार्वजनिक बयान देते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया और शिवसेना का दामन थाम लिया। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी पार्टी के नीतिनिर्धारकों द्वारा बीते साल मथुरा में उनके साथ खुलेआम गुंडागर्दी वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को फिर से पार्टी में शामिल करने के आरोपों के बाद कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। चतुर्वेदी ने दोपहर बाद शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री में शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की।

शिवसेना में शामिल होने के बाद प्रियंका ने कहा, 'मेरी जिम्मेदारी मुद्दों को लेकर है। मैंने टिकट की वजह से पार्टी (कांग्रेस) नहीं छोड़ी। मेरे माता-पिता मथुरा से आते हैं, लेकिन मैंने वहां से टिकट नहीं मांगी थी। मैंने आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ी है। मैंने पार्टी को बताया था कि मेरी क्या तकलीफ है। महिला सम्मान बड़ा मुद्दा है।'

शिवसेना में शामिल होने पर उन्होंने कहा, 'मेरा कभी भी शिवसेना को लेकर मन परिवर्तन नहीं हुआ। शिवसेना से मेरा बचपन से जुड़ाव रहा है। महाराष्ट्र वालों के दिल में शिवसेना राज करती है। मैं निष्ठा से सच्चाई से बता रही हूं कि मेरी कुछ भी उम्मीदें पार्टी से नहीं हैं। मैं सेवाभाव की निष्ठा से जुड़ी हूं, पदवी को लेकर नहीं आई हूं। अब मैं आगे की लड़ाई लड़ रही हूं।'

इस मौके पर शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा, 'शिवसेना प्रियंकाजी का स्वागत करती है। प्रियंकाजी आप पूरे देश में शिवसेना के लिए काम करेंगी।'

बता दें कि ट्विटर पर भी उन्होंने मथुरा घटना को लेकर खुलकर अपनी नाखुशी जाहिर की थी। प्रियंका ने अपने ट्विटर हैंडल से भी बायो इंट्रो में से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद को परिचय से हटा लिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि पार्टी की विचारधारा और राहुल गांधी के सबको साथ लेकर चलने कि विचार ने उन्हें प्रभावित किया था और इसलिए 10 साल पहले वह पार्टी में शामिल हुईं। प्रियंका ने लिखा, 'मैं बहुत भरे दिल के साथ आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे रही हूं। पिछले 10 सालों में पार्टी की तरफ से मुझे कई जिम्मेदारी मिली और निजी स्तर पर मैंने बहुत कुछ सीखा। हालांकि, कुछ समय से ऐसा लग रहा था कि पार्टी में मेरे काम की अब कोई कद्र नहीं रही है। मुझे ऐसा लगने लगा कि संगठन के लिए मैं जितना वक्त और बिताऊंगी वह मेरे सम्मान और गरिमा से समझौता होगा।'

प्रियंका ने पार्टी में महिलाओं के सम्मान की बात को लेकर काम नहीं किए जाने का हवाला देते हुए कहा, 'पार्टी महिला सशक्तीकरण और महिलाओं के अधिकार की वकालत करती है, लेकिन यह यह देखना दुखद है कि पार्टी ने उस विचारधारा पर काम नहीं किया। मथुरा में पार्टी के कार्यक्रम में हुए दुर्व्यवहार के बाद भी मेरे सम्मान के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई। यह मेरे लिए आखिरी घंटी थी कि अब वक्त आ गया है कि मुझे कांग्रेस से बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्रों पर अपना फोकस बढ़ाना चाहिए।' प्रियंका ने इस्तीफे के पत्र में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले समर्थन और प्यार के लिए आभार भी जताया।

बता दें कि बीते साल मथुरा में कांग्रेस पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रियंका चतुर्वेदी से दुर्व्यवहार किया था। हालांकि, उन्हें अपने व्यवहार पर खेद जताने के बाद पार्टी में फिर वापस ले लिया गया। प्रियंका ने इस पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया था कि कांग्रेस के लिए अपना खून-पसीना एक करनेवालों के स्थान पर कुछ लंपट आचरण करनेवालों को तरजीह मिल रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि मथुरा घटना के कारण पार्टी छोड़ने से पहले से ही प्रियंका कुछ कारणों से पार्टी से नाराज चल रही थीं। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि प्रियंका मुखरता से पार्टी का पक्ष लेती थीं और उन्हें इस चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने नाराजगी में पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। प्रियंका के शिवसेना में जाने की भी खबरें हैं।

मोदी सरकार की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर प्रियंका चतुर्वेदी ने अलग पहचान बनाई। वह मीडिया चैनलों पर और सार्वजनिक मंचों पर बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी का मुखर चेहरा बनकर उभरी थीं। कांग्रेस में उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद भी दिया गया। कई बार उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के साथ भी मंच साझा किया। हाल ही में वह स्मृति इरानी के हलफनामे में डिग्री विवाद पर ताना कसते हुए उनके लोकप्रिय सीरियल का गाना गाया था, जिसकी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई।