अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पReuters

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता की पेशकश करने के एक और प्रयास के बाद भारत ने बुधवार, 22 जनवरी को कश्मीर पर अपना रुख दोहराया। राष्ट्रपति ट्रम्प ने मंगलवार को दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में कहा कि वाशिंगटन कश्मीर मामले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच घटनाक्रम पर ''करीबी नजर'' बनाए है। साथ ही उन्होंने एक बार फिर दोनों पड़ोसी देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने में ''मदद'' करने की पेशकश की।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा, 'हम और ज्यादा कारोबार कर रहे हैं और कुछ अन्य मसलों पर भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हम कश्मीर पर भी बात कर रहे हैं कि वहां भारत और पाकिस्तान के बीच क्या हो रहा है। हम नजर बनाए हुए हैं और बहुत करीब से देख रहे हैं। यदि हम कुछ मदद कर सकते हैं, तो हम जरूर मदद करेंगे। वहां (कश्मीर) में जो कुछ भी हो रहा है, हमारी पैनी निगाह है और हम इसे बेहद करीब से देख रहे हैं।'

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प का प्रस्ताव नया नहीं है और साथ ही भारत की प्रतिक्रिया भी कोई नई नहीं है। एक अधिकारी ने कहा, "भारत ने हमेशा पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों में तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज किया है, जिसमें राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा की गई मध्यस्थता के कई प्रस्ताव शामिल हैं।"

अपने देश में महाभियोग का सामना कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति फरवरी में भारत का दौरा कर सकते हैं।

दो दिन पहले, खान ने ट्वीट किया था कि "कश्मीर में नियंत्रण रेखा के लिए भारत को यूएनएमओजीआईपी (संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह) दोबारा भेजे जाने की अनुमति देने के लिए यूएनएससी के दबाव की तत्काल आवश्यकता है।"

खान ने धमकी दी थी कि मैं भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर भारत ने एलओसी के पार नागरिकों पर हमला करते हुए अपने सैन्य हमलों को जारी रखा तो पाकिस्तान के लिए चुप बैठकर देखते रहना मुश्किल हो जाएगा।

हालांकि, यूएनएमओजीआईपी में दाखिल की गई इस याचिका पर खान को दावोस में अमेरिकी राष्ट्रपति से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

हालाँकि, दावोस में राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका और पाकिस्तान किन सीमाओं पर काम कर रहे हैं, प्रधानमंत्री खान ने संकेत दिया, "मुख्य मुद्दा अफगानिस्तान है क्योंकि यह अमेरिका और पाकिस्तान को चिंतित करता है। सौभाग्य से, हमारा लक्ष्य एक ही है। हम दोनों वहां शांति के पक्षधर हैं और तालिबान और सरकार के मध्य बातचीत के साथ अफगानिस्तान में सत्ता का हस्तांतरण देखना चाहते है।"

5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव और बढ़ गया है। चूंकि भारत और पाकिस्तान के बीच इससे पूर्व कश्मीर को लेकर ही 2 से 3 युद्ध हो चुके हैं, इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का गतिरोध बेहद जोखिम भरा हो सकता है।

खान दावोस में ट्रम्प से मिलने वाले तीन नेताओं में से एक हैं। अन्य नेताओं में यूरोपीय संघ के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और इराकी राष्ट्रपति बरहम सलीह शामिल हैं।

(एजेंसी के इनपुट के साथ)