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Youtube/ LCA Tejas

'मेड इन इंडिया' लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), या तेजस, को अंतिम रूप से विमानन प्रमाणन अधिकारियों द्वारा अंतिम परिचालन मंजूरी (FOC) प्रदान कर दी गई है। पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किये गए इस लड़ाकू विमान को एयरो इंडिया 2019 के पहले दिन FOC प्रमाणन मिला है। इसका मतलब यह है कि दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान अब युद्ध के लिए तैयार है। यह खबर अपने घटते बेड़े के साथ संघर्ष कर रही भारतीय वायु सेना के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आई है।

विमान के लिए एफओसी की औपचारिक घोषणा रक्षा विभाग के आर एंड डी सचिव तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने की। एयरो इंडिया शो के इतर एफओसी प्रमाण पत्र और रिलीज टू सर्विस डॉक्यूमेंट वायुसेना प्रमुख को सौंपा गया। इस दौरान रक्षा सचिव, एचएएल के अध्यक्ष और सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दीनेस एंड सर्टिफिकेशन के प्रमुख मौजूद रहे।

तेजस जहाज को बुधवार को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिल गया है। इसके साथ यह विमान अब भारतीय वायुसेना का हिस्सा होने जा रहा है। 123 विमानों को क्लीयरेंस दिया गया है। यह सभी विमान देश में बने हैं। आपको बता दें कि तेजस को डीआरडीओ की ऐरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन किया है।

इस एयरक्राफ्ट की कल्पना 1983 में की गई थी। हालांकि, यह प्रॉजेक्ट 10 साल बाद 1993 में सैंक्शन हुआ था। इसे हिंदुस्तान ऐरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने तैयार किया है। तेजस की तैयारी के बारे में जब वायुसेना चीफ बीएस धनोआ से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'क्या आपने तेजस वायु शक्ति में परफॉर्म करते हुए नहीं देखा।' उन्होंने यह भी बताया कि तेजस अब पूरी तरह से ऐक्शन के लिए तैयार है।

धनोआ ने आगे कहा, 'यह बड़ी सफलता है कि हमें आज एलसीए MK 1 के लिए एफओसी मिल गया है। मैंने आपको पहले भी कहा है कि खाने का स्वाद कैसा है, यह खाने पर ही पता चलता है। आपने देखा कि एयरक्राफ्ट कितना उड़ सकता है। अप्रैल 2018 में आयोजित गगन शक्ति में भी इसका प्रदर्शन दिखा था। वायु शक्ति के दौरान हमने दिखाया कि यह एयरक्राफ्ट कितने सटीक निशाने पर हथियार गिरा सकता है। यही सबूत है।'

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरREUTERS/Adnan Abidi

एयर चीफ मार्शल धनोआ ने कहा कि तेजस ना सिर्फ लगातार हमले करने में सक्षम है बल्कि यह सही निशाने पर हथियार गिराने की भी अचूक क्षमता रखता है। उन्होंने आगे कहा, 'क्योंकि यह एक फाइटर प्लेन है, इसे फाइटर की तरह ही काम करना होगा। इसने हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मोड में अच्छा काम किया है। पायलट्स भी इससे काफी खुश हैं।'

आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना ने एचएएल को 40 तेजस एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया है, जिसमें से एचएएल ने 14 तैयार करके दे दिए हैं। हालांकि, अभी तक एयरफोर्स ने 10 एयरक्राफ्ट ही स्वीकार किए हैं। ये एयरक्राफ्ट सर्विस में हैं और वायुसेना की स्क्वॉड्रन नंबर 45- फ्लाइंग ड्रैगर्स द्वारा ऑपरेट किए जा रहे हैं। शुरुआती 20 एयरक्राफ्ट अभी इनिशियल ऑपरेशन क्लियरंस कॉन्फिगरेशन में हैं। बाकी के एयरक्राफ्ट एफओसी मानकों के हिसाब से तैयार किए जाएंगे। इसके लिए एचएएल ने पिछले साल से ही काम शुरू कर दिया है।

बीएस धनोआ ने बताया कि वायुसेना जल्द ही अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए 84 तेजस MK-1A के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी करेगी। उन्होंने कहा कि आरएफपी सिर्फ MK-1 के लिए ही नहीं बल्कि MK-2 के लिए भी जल्द ही जारी किया जाएगा। आपको यह भी बता दें कि बुरे हालात से गुजर रहे एचएएल के लिए यह आरएफपी संजीवनी का काम कर सकता है। 83 एयरक्राफ्ट की कीमत लगभग 50 हजार करोड़ रुपये हो सकती है। हालांकि, प्रॉजेक्ट की फाइनल कीमत कॉस्ट कमिटी द्वारा तय की जाएगी, उसके बाद ही इसकी घोषणा होगी।