गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) तथा खुदरा कर्जदारों को ऋण बढ़ाने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हाल के कदम से क्षेत्र में जोखिम बढ़ने की आशंका है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने अपनी एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे एनबीएफसी को बैंकों की तरफ से और कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर तीन बड़े कदम उठाए।
इसमें बैंकों को किसी एक एनबीएफसी के लिए कर्ज की सीमा टीयर-1 पूंजी (शेयर पूंजी और बची हुई कमाई) के मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर के 20 प्रतिशत करना, कृषि, छोटी इकाइयों तथा मकान खरीदारों के लिए कर्ज को लेकर एनबीएफआई को कर्ज प्राथमिक श्रेणी में रखना शामिल हैं। साथ ही उपभोक्ता कर्ज (क्रेडिट कार्ड को छोड़कर) के लिए जोखिम भारांश 125 प्रतिशत से कम कर 100 प्रतिशत किया गया है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि सुस्ती के संकेत के बीच अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह बनाए रखने के इरादे से ये पहलें की गई हैं। एजेंसी ने कहा, 'नरमी में कमी से कर्जदारों को मदद मिलेगी और फलत: वित्तीय व्यवस्था में स्थिरता आएगी, लेकिन इन कदमों से अगर बैंक उच्च कर्ज जोखिम स्वीकार करते हैं, उनके लिए खतरा बढ़ेगा।'
रिपोर्ट के अनुसार, एनबीएफसी को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को बार-बार प्रेरित करना वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत है। इसके जरिये बैंकों तथा एनबीएफसी के बीच जो एक जुड़ाव है, प्राधिकरण उसे तोड़ने की कोशिश कर रहा है। इससे एनबीएफसी में जो जोखिम है, उसका असर बैंकों पर पड़ने का खतरा है। एनबीएफसी के समक्ष उल्लेखनीय रूप से कोष का दबाव है, क्योंकि निवेशक पिछले साल सितंबर में आईएलऐंडएफएस के कर्ज लौटाने में चूक तथा इस वर्ष दिवान हाउजिंग में समस्याओं के बाद इस क्षेत्र में पैसा लगाने से बच रहे हैं।
फिच के अनुसार, एनबीएफसी से कर्ज वितरण कम होने से अन्य क्षेत्रों खासकर खपत पर प्रभाव पड़ा है। इसी कारण से जुलाई में वाहनों की बिक्री में 31 प्रतिशत की गिरावट आई। यह दो दशक में सर्वाधिक गिरावट है। एजेंसी ने कहा, 'अगर बैंक उन्हें और कर्ज देना शुरू करते हैं, इससे एनबीएफआई (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान) पर दबाव कम होगा, लेकिन इससे ज्यादा लाभ मजबूत इकाई को मिलने की उम्मीद है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।