कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (सांकेतिक तस्वीर)
कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (सांकेतिक तस्वीर)Reuters

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) ने पुष्टि की है कि तमिलनाडु में स्थित कुडनकुलम प्लांट के सिस्टम पर साइबर अटैक की खबर सही है। हालांकि, एनपीसीआईएल ने यह भी स्पष्ट किया है कि इससे सिस्टम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। एक दिन पहले ही प्लांट के अधिकारियों ने कहा था कि वहां के सिस्टम पर हमला करना संभव नहीं है।

परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत लोक उपक्रम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) ने कहा है कि हमले से संयंत्र की कंप्यूटरीकृत कार्यप्रणाली पर असर नहीं पड़ा। एनपीसीआईएल ने कहा, 'इस साल 4 सितंबर को पता चलने पर इस मामले को सीईआरटी-इन (कंप्यूटर आपात कार्रवाई टीम) द्वारा सूचित किया गया था।'

परमाणु ऊर्जा विभाग के विशेषज्ञों ने तुरंत मामले की छानबीन शुरू कर दी। जांच में पता चला कि प्रभावित कंप्यूटर एक यूजर का था, जोकि प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ा था।

एनपीसीआईएल के बयान में कहा गया यह अति महत्वपूर्ण नेटवर्क से अलग था। नेटवर्क की लगातार निगरानी की जाती है। जांच टीम ने यह भी पुष्टि की कि प्लांट का सिस्टम प्रभावित नहीं हुआ है। मंगलवार को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी) ने अपने सिस्टम पर साइबर हमले की आशंका को निराधार बताया था और कहा था कि हमला करना संभव नहीं है।

केकेएनपीपी के प्रशिक्षण अधीक्षक और सूचना अधिकारी आर रामदास ने कहा कि साइबर हमले के बारे में सोशल मीडिया पर आई खबरें मिथ्या हैं और स्पष्ट किया कि केकेएनपीपी और अन्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की नियंत्रण प्रणाली स्वत: काम करती है और यह बाहर के किसी साइबर नेटवर्क या इंटरनेट से जुड़ी हुई नहीं होती है।

चेन्नै से मिली खबर के मुताबिक, डीएमके ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कंप्यूटर पर मैलवेयर अटैक पर हैरानी जताई और 'चूक' को लेकर केंद्र से जांच कराने की मांग की।

एनपीसीआईएल द्वारा मैलवेयर हमले की बात स्वीकार करने के कुछ घंटे बाद डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने पर्याप्त सुरक्षा उपायों की 'कमी' पर चिंता जताई।

उन्होंने ट्वीट किया, 'एनपीसीआईएल केंद्र पर साइबर हमले से हैरानी हो रही है। इससे पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी का पता चलता है।' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चूक की जांच करानी चाहिए ।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.