असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के प्रकाशन में सिर्फ चार दिन बचे रहने के बीच असम सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह उन 'जरूरतमंद' लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेगी जिनके नाम सूची में नहीं होंगे। इसके साथ ही सरकार ने उन वास्तविक भारतीयों के डर को दूर करने की कोशिश की जिन्हें अपनी नागरिकता खोने की आशंका है।
कांग्रेस, बीजेपी और सीजेपी का वादासरकार के अलावा, राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी तथा विपक्षी कांग्रेस ने भी ऐसे नागरिकों को सहायता मुहैया कराने की घोषणा की है जिनके नाम एनआरसी से बाहर रख गए हैं। नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के गैर-सरकारी संगठन सिटिजेंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) ने भी अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद मदद देने की बात की है।
कानूनी सहायता का वादा लोगों की आशंकाओं की पृष्ठभूमि में आया है। लोगों को डर है कि उनका नाम एनआरसी से बाहर रह जा सकता है। असम में कई लोग एनआरसी को सुरक्षा कवच मानते हैं। असम सरकार ने मंगलवार को वादा किया कि वह ऐसे लोगों को जिला कानूनी सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) के जरिए कानून सहायता मुहैया कराएगी।
असम के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक विभाग) कुमार संजय कृष्णा ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी सूची में जो लोग शामिल नहीं हो पाएंगे उन्हें तब तक किसी भी हालत में हिरासत में नहीं लिया जाएगा जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी नागरिक घोषित न कर दे।
उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार एनआरसी सूची में शामिल होने से वंचित होने वाले लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए जरूरी व्यवस्था करेगी। इन लोगों को जिला कानून सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के जरिए सभी जरूरी सहायता मुहैया कराई जाएगी।' विदेशी अधिनियम, 1946 और विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के प्रावधानों के मुताबिक सिर्फ विदेश न्यायाधिकरण के पास ही किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है।
बयान में कहा गया है कि संबंधित विदेशी न्यायाधिकरणों में जो अपील दायर की गई हैं, उनकी सुनवाई के लिए जल्द ही 200 विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए जाएंगे। इसकी अधिसूचना राज्य सरकार जल्द ही जारी करेगी।
उधर, कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि पार्टी ऐसे वास्तविक भारतीय नागरिकों को निःशुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराएगी, जिनके नाम 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाली एनआरसी सूची से बाहर रह जाएंगे। बोरा ने कहा कि सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों को संरक्षण मुहैया कराने और अवैध विदेशियों की पहचान करने तथा एनआरसी में उनका नाम शामिल नहीं हो, इसके लिए कांग्रेस ने ही राज्य में एनआरसी प्रक्रिया की शुरुआत की थी।
राज्यसभा सदस्य बोरा ने कहा, 'कांग्रेस का कानूनी प्रकोष्ठ एनआरसी सूची से बाहर रह जाने वाले वास्तविक भारतीय नागरिकों को निशुल्क सहायता मुहैया कराएगा ताकि उनके साथ नाइंसाफी नहीं हो।'
उधर, बीजेपी ने एनआरसी के प्रदेश समन्वयक प्रतीक हजेला पर प्रहार करते हुए दावा किया कि वह (हजेला) सिर्फ दो-तीन संगठनों के परामर्श से समीक्षा प्रक्रिया कर रहे हैं, जिससे सूची में विदेशी भी शामिल हो जाएंगे। बीजेपी के प्रदेश प्रमुख रंजीत दास ने कहा कि लोगों ने उनकी पार्टी के सदस्यों से कहा है कि उनके नाम 2017 में प्रकाशित प्रथम सूची में दिखे थे, लेकिन पिछले साल जुलाई में अंतिम मसौदा से हटा दिया गया।
दास ने दावा किया कि एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला खुद की राय से और दो-तीन संगठनों के आधार पर समीक्षा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में असम को त्रुटिमुक्त पंजी मिल पाना मुश्किल होगा।
एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी होगी। असम एकमात्र राज्य है जिसका एनआरसी है। पिछले साल जुलाई में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से 40,07,707 लोगों को एनआरसी के अंतिम मसौदे से बाहर कर दिया गया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।