सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरCreative Commons

अंधविश्वास समाज में आज भी हावी है, इसकी ज़िंदा मिसाल मध्य प्रदेश से सामने आई है, जहां किसी निरक्षर ने नहीं बल्कि एक IPS अधिकारी ने अंधविश्वास के चलते अपने ही पिता के शव को अंतिम संस्कार के बजाए महीने भर से घर में रखा हुआ है और पिता की फिर ज़िंदा होने की उम्मीद में रोजाना झाड़फूक कराई जा रही थी। मध्यप्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को दावा किया है कि उनके 84 वर्षीय पिता को बीते महीने 14 जनवरी को भोपाल के एक अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था, उनका इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा रहा है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेंद्र मिश्रा भोपाल के 74 बंगले स्थित डी-7 में रहते हैं। बताया जा रहा है कि मिश्रा अपने 84 साल के पिता कालूमनी मिश्रा को 13 जनवरी की रात आठ बजकर दस मिनट पर बंसल हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले गए थे। इलाज भी हुआ और अगले दिन 14 जनवरी की शाम पौने चार बजे डॉक्टरों ने उनके पिता को मृत घोषित कर दिया और डेथ सार्टिफिकेट भी जारी कर दिया।

मामला तब सामने आया जब मिश्रा के स्टाफ के लोगों ने इस बात की जानकारी अन्य लोगों को दी। ये दो स्टाफ मेंबर अधिकारी के दबाव में उनके मृतक पिता की सेवा कर रहे थे। जिसके बाद दोनों बीमार पड़ गए क्योंकि शव से काफी बदबू आ रही थी।

मिश्रा से जब इस बारे में पूछा गया, जो अभी छुट्टी पर चल रहे हैं तो उन्होंने कहा, "यह एक निजी मामला है। मुझे नहीं पता अस्पताल के लोगों ने क्या कहा, लेकिन जब उन्होंने हमें उन्हें दिया (पिता का शव) तो हम घर ले आए और उनका इलाज आयुर्वेदिक डॉक्टर कर रहे हैं।" पिता के शव को दिखाने से अधिकारी ने मना कर दिया।

मामले पर डॉक्टर डीके सतपथी का कहना है, "मैंने शव का निरीक्षण किया था। मेडिकल साइंस के मुताबिक वो जीवित नहीं थे। ये मामला मिश्रा के परिवार के विश्वास का है जो ये मान रहे हैं कि सीनियर मिश्रा (अधिकारी के पिता) समाधि पर हैं। जब मैंने शव का निरीक्षण किया था, तब वह अपघटित नहीं हुआ था लेकिन आज शव की क्या स्थिति हैं, मैं इसपर कुछ नहीं कह सकता।" सतपथी मिश्रा के फोन करने पर उनके घर भी गए थे।

वहीं अस्पताल का कहना है कि मिश्रा के पिता की मौत के बाद उन्होंने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। बंसल अस्पताल के प्रवक्ता लोकेश झा का कहना है, "वह 13 जनवरी को अस्पताल में दखिल हुए थे। फेंफड़ों के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लाया गया था, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनका इलाज डॉक्टर अश्विनी ने किया था। मृत्य प्रमाणपत्र की एक कॉपी नगर पालिका और एक परिवार को दे दी गई है। अस्पताल पुलिस को भी कॉपी दिखाने को तैयार है।"

जो स्टाफ के लोग मिश्रा के पिता की सेवा कर रहे थे उनका कहना है कि मृतक को ठीक करने के लिए परिवार ने तांत्रिकों को भी बुलाया था। परिवार को उम्मीद है कि कोई जादू होगा। वहीं मिश्रा ने तांत्रिक वाली बात से इनकार कर दिया है।

पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि मिश्रा के पिता की मौत के बाद व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज आया था कि उनके पिता की मौत हो गई है और कुछ देर में अंतिम संस्कार होगा लेकिन बाद में मैसेज डिलीट कर दिया गया। मामले पर डीजीपी वीके सिंह का कहना है कि इस मामले में एडीजी मिश्रा से वरिष्ठ अधिकारी बात करेंगे।

राजेंद्र मिश्रा