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देश के एंटी-ट्रस्ट वॉचडॉग कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) ने अल्फाबेट इंक की इकाई गूगल के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। प्रतिस्पर्धियों को ब्लॉक करने के लिए अपने पॉप्युलर एंड्राइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के दबदबे के कथित दुरुपयोग को लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं। यह बात घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताई है।

कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया ने पिछले साल शिकायत की जांच-पड़ताल करना शुरू किया था। यह शिकायत उससे मिलती-जुलती है, जिसका सामना गूगल को यूरोप में करना पड़ा था। इस शिकायत पर कंपनी पर 4.34 अरब यूरो (5 अरब डॉलर) का जुर्माना लगा था। अप्रैल के मध्य में कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया ने पाया कि शिकायत में लगाए आरोपों में कुछ चीजें हैं और अपनी इनवेस्टिगेशन इकाई को व्यापक जांच करने का आदेश दिया। यह बात घटनाक्रम की सीधी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताई है।

दूसरे सूत्र ने भी इस आदेश की पुष्टि की है। फुल इनवेस्टिगेशन के आदेश को पब्लिक नहीं किया गया है। एक सूत्र ने बताया, 'यूरोपियन यूनियन के मामले को देखते हुए CCI के लिए यह एक मजबूत केस है। CCI ने प्रारंभिक जांच में पाया है कि गूगल ने अपनी दबदबे वाली पोजिशन का दुरुपयोग किया।' सूत्र ने बताया कि यह जांच करीब एक साल में पूरी होगी और आने वाले महीनों में गूगल एग्जिक्यूटिव्स को CCI के सामने समन किया जा सकता है। हालांकि, सीसीआई ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। रॉयटर्स को यह पता नहीं लग सका है कि शिकायत किसने की है। हालांकि, शिकायत में एक से ज्यादा लोग शामिल हैं।

भारत में गूगल के खिलाफ शिकायत का स्पष्ट ब्यौरा तो पक्का नहीं हो सकता है, लेकिन सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया है कि यह यूरोप में कंपनी के खिलाफ दायर किए गए केस की तर्ज पर ही हैं। यूरोपियन यूनियन के केस में रेगुलेटर्स ने कहा है कि गूगल ने मैन्युफैक्चर्स को एंड्राइड डिवाइसेज पर Google Play ऐप स्टोर के साथ-साथ गूगल सर्च और अपना क्रोम ब्राउजर प्री-इंस्टॉल करने के लिए मजबूर किया, जिससे इसे अनुचित फायदा हुआ।