-
सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश का सोनभद्र में जमीन के नीचे खदान में मिले सोने को लेकर जारी चर्चाओं के दौर के बीच जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने शनिवार को दावा किया कि खदान में 3000 हजार टन नहीं, बल्कि सिर्फ 160 किलो सोना मौजूद है। जीएसआई के निदेशक डॉ. जीएस तिवारी ने बताया कि सोनभद्र की खदान में 3000 टन सोना होने की बात जीएसआई नहीं मानता।

सोनभद्र में 52806.25 टन स्वर्ण अयस्क होने की बात कही गई है न कि शुद्ध सोना। सोनभद्र में मिले स्वर्ण अयस्क से प्रति टन सिर्फ 3.03 ग्राम ही सोना निकलेगा। पूरे खदान से 160 किलो सोना ही निकलेगा।

तिवारी ने कहा कि सोनभद्र में सोने की तलाश अभी जारी है। जीएसआई का सर्वे अभी चल रहा है। वहां पर और सोना मिलने की संभावना से अभी इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन अभी जो अयस्क मिला है, उससे 160 किलो ही सोना निकलेगा। उन्होंने बताया कि जीएसआई द्वारा इस जांच की यूएनएफसी मानक की जी-3 स्तर की रिपोर्ट भूतत्व खनिक कर्म निदेशालय को भेजी गई है।

तिवारी ने बताया कि इस संबंध में सोनभद्र के जिलाधिकारी से भूमि संबंधी रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है, उसके बाद क्षेत्र को भू-राजस्व मानचित्र पर अंकित कर खनन के लिए उपयुक्त क्षेत्र की आवश्यक औपचारिकता पूरी करते हुए नीलामी की कार्यवाही की जाएगी।

-
मानचित्र पर चिह्नित क्षेत्र सोनभद्र को दर्शाता हैGoogle Maps

बता दें कि कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की सोन और हरदी पहाड़ी में अधिकारियों ने सोना मिलने की पुष्टि की है। इसके अलावा क्षेत्र की पहाड़ियों में एंडालुसाइट, पोटाश, लौह अयस्क आदि खनिज संपदा होने की बात भी चर्चा में है।

क्षेत्र के आसपास की पहाड़ियों में लगातार 15 दिनों से हेलिकॉप्टर से सर्वे किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि हवाई सर्वे के माध्यम से यूरेनियम का भी पता लगाया जा रहा है। इसकी मौजूदगी की भी प्रबल संभावना जताई जा रही है।

भारत में सबसे ज्यादा सोना कर्नाटक की हुत्ती खदान से निकाला जाता है। इस लिहाज से भारत में कर्नाटक सोने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, दूसरा सबसे बड़ा सोना उत्पादक राज्य है। इनके अलावा झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश में भी सोना की छोटी-बड़ी खदानें हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.