दीवाली से ठीक पहले देशभर में पटाखा बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के इस्तेमाल पर 'पूरी तरह' बैन लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि क्रिसमस, न्यू ईयर पर रात 11.45 से 12.45 बजे तक पटाखे छुड़ाए जा सकेंगे. इसके अलावा दीवाली पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही पटाखे छुड़ाने की इजाजत होगी. ऐसे में ईको-फ्रेंडली और ग्रीन पटाखों की मांग बढ़ गई थी.
ऐसे में ईको-फ्रेंडली दिवाली को बढ़ावा देने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण करने वाले पटाखे बनाए हैं. यह पटाखे न केवल ईको-फ्रेंडली हैं बल्कि पारंपरिक पटाखों से सस्ते भी हैं.
To promote an environment-friendly Diwali, scientists at the Council of Scientific and Industrial Research have developed less-polluting firecrackers which are not only environment-friendly but also cheaper than the conventional ones
— ANI Digital (@ani_digital) October 30, 2018
Read @ANI story | https://t.co/eYDxZmbdtU pic.twitter.com/QA5AyAgCSu
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि CSIR के वैज्ञानिकों ने न केवल ऐसे पटाखे बनाए हैं जो ईको-फ्रेंडली हैं बल्कि उनके दाम भी पारंपरिक पटाखों से 15-20 फीसदी कम हैं. ये पटाखे तीन तरह के हैं-
1. सेफ वॉटर रिलीजर (SWAS)
2. सेफ मिनिमल एल्यूमिनियम (SAFAL)
3. सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR)
इन पटाखों से हानिकारक धूल और धुएं की जगह भाप और हवा निकलेगी लेकिन पटाखे के शौकीन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इन पटाखों का विस्फोट कहीं से भी आम और पारंपरिक पटाखों से कमजोर नहीं होगा.
यानि मजेदार बात यह है कि ईको-फ्रेंडली होने के बावजूद इन पटाखों के फूटने पर कॉमर्शियल पटाखों की रेंज का ही धमाका होगा. जो कि 105 से 110 डेसीबल का होगा.
SWAS पटाखों से पटाखों में यूज होने वाले पोटेशियम नाइट्रेट (KNO3) और सल्फर का प्रयोग कम हो जाएगा. जिससे SO2 और NOx में भी गिरावट आएगी. दूसरी ओर स्टार पटाखों से भी 35 से 40 फीसदी कमी हानिकारक पदार्थों के प्रयोग में आएगी.
सफल पटाखों में बहुत कम मात्रा में एल्युमिनियम का प्रयोग होगा. सिर्फ इतना कि फूटते हुए चमक पैदा की जा सके. इससे भी कॉमर्शियल पटाखों के मुकाबले 35 से 40 फीसदी कमी पर्यावरण के लिए हानिकारण तत्वों में आएगी.
हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की पटाखा इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर 6 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा है और कुल मिलाकर 5 लाख परिवारों की जीविका निर्भर है. इसके आगे उन्होंने कहा, "CSIR का लक्ष्य लोगों की पॉल्यूशन से जुड़ी समस्याओं और इस बिजनेस से जुड़े लोगों की जीविकाओं को बचाना है." उन्होंने यह भी जिक्र किया कि कई सारे पटाखा बनाने वालों ने भी इन ईको-फ्रेंडली पटाखों को बनाने की प्रक्रिया में अपनी रुचि दिखाई है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि इन पटाखों को और अच्छा बनाने के लिए कुछ और कदम उठाए जा रहे हैं. यूनियन मिनिस्टर ने कहा, यह भारत में पहली बार है कि CSIR-NEERI ने मिलकर विस्फोट से होने वाले उत्सर्जन की जांच के लिए प्रयास किया है और लगातार यहां पर पारंपरिक और ग्रीन पटाखों के विस्फोट और उनसे होने वाले उत्सर्जन की जांच की जा रही है.
दूसरे ईको-फ्रेंडली पटाखों के क्रम में CSIR ई-क्रैकर और ई-लड़ी भी डेवलप कर रहा है. लोगों के पटाखों को इंज्वाए करने की खुशी को ये पटाखे भी पूरा कर सकते हैं. इसमें जो ई-लड़ी डेवलप की जा रही है, उससे हाई-वोल्टेज इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्चार्ज होगा, जिससे लाइट और साउंड इफेक्ट क्रिएट होगा. इसे जलाने पर भी वैसा ही महसूस होगा जैसा पारंपरिक पटाखों को जलाने पर होता है.