रिजर्व बैंक की कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) भुगतान पर तीन महीने की रोक से ग्राहकों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से संभवत: कोई बहुत ज्यादा लाभ होता नहीं दिख रहा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा इस बारे में घोषित योजना के अनुसार वे इन तीन महीनों का ब्याज बाद में वसूलेंगे।
रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को खुदरा और फसल समेत सभी प्रकार के कर्ज (टर्म लोन) तथा कार्यशील पूंजी भुगतान पर तीन महीने की रोक लगाने की अनुमति दी थी। बैंकों के पास अब कार्यशील पूंजी की सीमा के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है।
केंद्रीय बैंक ने कहा था कि अगर इस अवधि के दौरान कर्ज की किस्त नहीं आती है तो उसे चूक नहीं माना जाना चाहिए तथा उसकी सूचना कर्ज जानकारी रखने वाली कंपनियों को नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा जान पड़ता है कि कर्जदाताओं के समक्ष अब दोहरी समस्या है। एक तरफ कोरोना वायरस महामारी के कारण उनकी आय प्रभावित हुई है जबकि अगर वे आरबीआई के राहत उपाय को अपनाते हैं, उनके कर्ज लौटाने की मियाद बढ़ जाएगी।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने ग्राहकों को भेजी सूचना में कहा कि मोहलत अवधि के दौरान जो भी बकाया राशि है, उस पर ब्याज जुड़ता रहेगा। बढ़ा हुआ ब्याज उन कर्जदारों से अतिरिक्त ईएमआई के जरिये लिया जाएगा जो तीन महीने की मोहलत का विकल्प चुनते हैं।
एसबीआई ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर संबंधित ग्राहक का मकान कर्ज 30 लाख रुपये है और इसे लौटाने की अवधि 15 साल बची हुई है, तो तीन महीने की मोहलत अवधि का विकल्प लेने पर 2.34 लाख रुपये के करीब अतिरिक्त ब्याज लगेगा जो 8 ईएमआई के बराबर है। इसी प्रकार, अगर ग्राहक ने 6 लाख रुपये का वाहन कर्ज ले रखा है और उसे लौटाने के लिये 54 महीने का समय बचा है तो छूट अवधि का विकल्प चुनने पर उसे 19,000 रुपये करीब अतिरिक्त ब्याज देना होगा जो 1.5 अतिरिक्त ईएमआई के बराबर है।
बैंक के अनुसार अगर ग्रााहक ईएमआई देना जारी रखना चाहते हैं, उन्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है और वे पहले की तरह अपनी किस्त दे सकते हैं।
एसबीआई ने यह भी कहा, ''जो ग्राहक ईएमआई को तीन महीने के लिये टालना चाहते हैं औेर उनकी किस्त राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन व्यवस्था (एनएसीएच) के जरिये जा रही है, उन्हें ई-मेल के जरिये आवेदन देना होगा। इसके साथ किस्तों को रोके जाने और एनएसीएच को आगे बढ़ाने का अधिकार देना होगा।'' स्टेट बैंक ने आवेदन भेजने के लिये ई-मेल की सूची जारी की है।
इस बीच, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) जारी करते हुए कहा कि जिन कर्जदारों की आय पर फर्क नहीं पड़ा है, उन्हें अपनी ईएमआई समय पर भुगतान करनी चाहिए।
बैंक के संघ आईबीए ने कहा, 'अगर आपकी आय प्रभावित हुई है तो आप आरबीआई के राहत उपाय का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप जो ईएमआई टालेंगे, उस पर मोहलत अवधि के दौरान आपको कुछ नहीं देना होगा। लेकिन उस खाते पर ब्याज लगेगा और बाद में आपको चुकाना होगा। यानी आपके कर्ज की लागत बढ़ेगी।''
क्रेडिट कार्ड के बारे में आईबीए ने कहा कि इसमें आपको निर्धारित तिथि पर न्यूनतम राशि देनी होती है और ऐसा नहीं करने पर उसकी सूचना 'क्रेडिट ब्यूरो' को दी जाती है। लेकिन आरबीआई के परिपत्र को देखते हुए क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि के बारे में तीन महीने तक क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी नहीं दी जाएगी।
उसने कहा है, ''हालांकि क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले वित्तीय संस्थान नहीं दी गयी राशि पर ब्याज वसूलेंगे। आपको इस बारे में कार्ड प्रदाता से ब्याज भुगतान के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। हालांकि इस दौरान दंड स्वरूप कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड बिल पर ब्याज सामान्यत: सामान्य बैंक कर्ज के मुकाबले ज्यादा होता है और आपको उसी अनुसार निर्णय करना चाहिए।''
पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस ने कहा कि जो ग्राहक इस योजना का लाभ उठाते हैं, उनके लिये बची हुई राशि लौटाने की मियाद बढ़ जाएगी और ईएमआई में वृद्धि संभव है। रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार किस्त लौटाने पर रोक अवधि के बाद ऐसे कर्ज की मियाद तीन महीने बढ़ जाएगी। जो कर्ज है, उस पर मोहलत अवधि के दौरान भी ब्याज बनता रहेगा।
इस छूट के तहत मूल राशि और /या ब्याज, ईएमआई, एक मुश्त भुगतान और क्रेडिट कार्ड बकाया को तीन महीने के लिये टाला जा सकता है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.