पीएम नरेंद्र मोदी आमतौर पर किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष की अगवानी दिल्ली में ही करते रहे हैं, लेकिन वे एक बार फिर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का स्वागत लीक से हटकर करते हुए तमिलनाडु के महाबलीपुरम में चिनफिंग से मुलाकात करेंगे। मंदिरों के इस शहर में शी चिनफिंग से पीएम मोदी की मुलाकात का खास कूटनीतिक और ऐतिहासिक महत्व है।
गौरतलब है कि 2014 में भी शी चिनफिंग से पीएम मोदी ने दिल्ली की बजाय अहमदाबाद में मुलाकात की थी। उस दौरान वह उन्हें साबरमती आश्रम और रिवर फ्रंट भी ले गए थे। अब एक बार फिर से 5 साल बाद पीएम मोदी और शी चिनफिंग की अनौपचारिक समिट होने वाली है। आइए जानते हैं आखिर क्या है महाबलीपुरम और चीन का आपसी सम्बन्ध जो पीएम मोदी ने इस मुलाकात के लिए मंदिरों के इस शहर का चयन किया।
चीन के साथ ममलापुरम (महाबलीपुरम) के प्राचीन संबंध से इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बल मिलने की संभावना है। शक्तिशाली पल्लव शासकों का ममलापुरम लंबे समय तक फलता-फूलता बंदरगाह रहा था। पल्लव वंश का चीन के साथ भी संबंध रहा था। उन्होंने अपने शासनकाल में वहां दूत भेजे थे। बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अनौपचारिक सम्मेलन के लिए 11-12 अक्टूबर को भारत दौरे पर आने वाले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। ऐसे में जब हम पुरातात्विक साक्ष्यों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि बैठक स्थल ममलापुरम (महाबलीपुरम) का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ खास संबंध था। मशहूर पुरातत्वविद एस राजावेलू ने कहा कि तमिलनाडु के पूर्वी तट पर बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के सेलाडॉन (मिट्टी के बर्तन) हमें चीनी समुद्री गतिविधियों के बारे में बताते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे साक्ष्य और अन्य पुरातात्विक सबूतों से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वर्तमान ममलापुरम और कांचीपुरम जिले के तटीय क्षेत्रों समेत इन क्षेत्रों का चीन के साथ संबंध था। उन्होंने कहा कि उस काल के चीनी सिक्के भी तमिलनाडु में मिले हैं। उनसे पता चलता है कि इन क्षेत्रों का चीन के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंध था।
कांचीपुरम में 7वीं सदी में पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेन सांग आए थे और राजा महेंद्र पल्लव ने उनकी अगवानी की थी। अब करीब 1300 वर्ष बाद पीएम नरेंद्र मोदी चीनी प्रेजिडेंट शी चिनफिंग का इस ऐतिहासिक नगरी में स्वागत करेंगे। यहां से एक तरह से संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि चीन और भारत के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध आज के नहीं बल्कि सदियों पुराने हैं।
मोदी और शी 2020 में दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों के 70 वर्ष पूरे होने पर होने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा पर भी बातचीत करेंगे। गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति का भारत दौरा उस वक्त हो रहा है, जब वहां की पेइचिंग ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के फैसले के खिलाफ कई बार कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुका है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में भी शी चिनफिंग से दिल्ली की बजाय अहमदाबाद में मुलाकात की थी। यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने चिनफिंग के साथ ही अपना जन्मदिन भी मनाया था। सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद ही चिनफिंग से इस मुलाकात से पहले पीएम मोदी ने डोकलाम में गतिरोध से निपटने में भी सफलता हासिल की थी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।