पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि पंजाब में पराली जलने के खिलाफ कानून लागू करने की अधिकतम संभव सीमा तक कोशिश की जा रही है। पंजाब के सीएम ने यह भी कहा कि दिल्ली की मौजूदा स्थिति के लिए पंजाब को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सिंह ने पत्र में लिखा है, "बड़े पैमाने पर औद्योगिक प्रदूषण, ट्रैफ़िक अधिभार, शहर में होने वाली अत्यधिक निर्माण गतिविधि को भी बराबरी का दोषी माना जाना चाहिए।"
सिंह ने कहा कि वह दिल्ली में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा पर आहत, हैरान और क्रोधित थे। पंजाब के सीएम ने कहा, "मौजूदा घटनाक्रम और परिस्थितियों ने एक प्रगतिशील और विकसित राष्ट्र होने के हमारे दावों की खोखली स्थिति को उजागर किया है। आप एक देश को कैसे विकसित कह सकते हैं जब उसकी राजधानी ही प्राकृतिक आपदा से नहीं बल्कि मानव निर्मित घटनाक्रमों के चलते गैस चैंबर में तब्दील हो गई हो।"
Punjab CM writes to PM Modi seeking Centre's intervention to evolve consensus on Delhi pollution issue.Letter states,"I'm not writing this to brush my hands off Punjab's responsibility in this state of affairs. We are to blame but so is rest of country, including Delhi&your govt" pic.twitter.com/OO1lJiaWkm
— ANI (@ANI) 2 November 2019
उन्होंने केंद्र को लिखे पत्र में कहा, 'मैं यह पत्र इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि पंजाब राज्य की जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ सकूं। हमें इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए, लेकिन बाकी देश भी इसके लिए उतना ही जिम्मेदार है और दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार भी।' इसके अलावा सिंह ने यह भी कहा कि उनके अपने बच्चे और पोते तक इस विषाक्त हवा में मुश्किल से सांस ले पा रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा कि इस पूरे प्रकरण में केंद्र सरकार की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने लिखा, 'मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और प्रधानमंत्री अपने कार्यकुशल हाथों में इसकी जिम्मेदारी लें।'
इसके साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा कि यह मामला लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ा है और इस पर तुच्छ राजनीति के स्थान पर समाधान तलाशना चाहिए।
पंजाब के मुख्यमंत्री का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से जूझ रहा है। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सभी स्कूलों को 5 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दिया है। वायु प्रदूषण का स्तर 'गंभीर प्लस' श्रेणी में पहुँच चुका है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने भी 5 नवंबर तक निर्माण-संबंधित सभी कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
गाजियाबाद के देश का सबसे प्रदूषित शहर घोषित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी को "गैस चैंबर" कहा। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, "पड़ोसी राज्यों में फसल जलने से फैले धुएं के कारण दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो गई है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम स्वयं को इस जहरीली हवा से बचाएं। निजी और सरकारी स्कूलों के माध्यम से, हमने आज (शुक्रवार) 50 लाख मास्क वितरित करना शुरू कर दिया है। हमारा सभी दिल्लीवासियों से निवेदन है कि जब भी जरूरत हो सभी दिल्लीवासियों उनका उपयोग करें।''