क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने साल 2019 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर अनुमान को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है। इससे पहले, एजेंसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.8 फीसदी की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया था। इस लिहाज से मूडीज ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 0.6 फीसदी कम कर दिया है।
एजेंसी ने साल 2020 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.30 से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। मूडीज ने एक बयान में बताया कि अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती ने एशियाई निर्यात पर प्रतिकूल असर डाला है और कारोबार का अनिश्चित माहौल निवेश पर भारी पड़ा है।
करीब एक हफ्ते के भीतर यह दूसरी एजेंसी है जिसने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाया है। इससे पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने भी जीडीपी ग्रोथ को लेकर भारत को झटका दिया है। नोमुरा के मुताबिक देश की आर्थिक वृद्धि इस साल जून तिमाही में 5.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है। नोमुरा का कहना है कि सर्विस सेक्टर में सुस्ती, कम निवेश और खपत में गिरावट से यह हालात बने हैं। नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं का विश्वास कम हो रहा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आई है।
रेटिंग एजेंसियों के ये रिपोर्ट भारत सरकार की उम्मीदों को झटका दे रही हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में जुटी है। बीते दिनों सरकार की ओर से कहा गया था कि 2025 तक लक्ष्य को हासिल करने के लिए 8 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ जरूरी है। ऐसे में रेटिंग एजेंसियों के अनुमान किसी झटके से कम नहीं हैं।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 6.8 प्रतिशत पर रह गई, जो 2014-15 के बाद से सबसे कम रही है। विभिन्न निजी विशेषज्ञों और केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि इस साल जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत के सरकारी अनुमान से कम रहेगी। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में इस समय दिख रहे धीमेपन को 'बहुत चिंताजनक' करार दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को ऊर्जा और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों की समस्याओं को तत्काल सुलझाना चाहिए।
भारत में विदेशी निवेशकों के लिए मूडीज की राय काफी मायने रखती है और भारत को कर्ज देने वाली संस्थाओं पर भी इसकी राय का असर देखा जाएगा। मूडीज के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाने का असर इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग पर भी देखा जाएगा। इसके अलावा भारतीय मुद्रा की मजबूती पर और आर्थिक वृद्धि दर पर इसका असर देखा जा सकता है। वहीं घरेलू आर्थिक माहौल पर भी इस ग्रोथ रेट अनुमान का असर पड़ सकता है।
बाजार में कैश का संकट देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था इन दिनों भारी सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि कंपनियों को बिक्री में आई भारी गिरावट से निपटने के लिए न सिर्फ कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ रही है, बल्कि अस्थायी तौर पर उत्पादन पर भी ब्रेक लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसी तरह एफएमसीजी और टेक्सटाइल सेक्टर भी मंदी जैसे हालात से गुजर रहे हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।