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IANS

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (पीएमसी) से छह महीने में रकम निकासी की सीमा बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दी है। अभी यह सीमा 25,000 रुपये थी।

गौरतलब है कि पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आने के बाद केंद्रीय बैंक ने इस बैंक के ग्राहकों के लिए नकदी निकासी की सीमा तय करने के साथ ही बैंक पर कई तरह के अन्य प्रतिबंध लगा दिए हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रिजर्व बैंक के गवर्नर से मुलाकात करके ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया था। वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा था कि आरबीआई गवर्नर ने भरोसा दिया है कि पीएमसी बैंक के ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी।

केंद्रीय बैंक द्वारा 23 सितंबर को बैंक पर लगाई गई पाबंदी के बाद यह तीसरा मौका है जब नियामक ने निकासी सीमा बढ़ाई है। सबसे पहले निकासी सीमा 1,000 रुपये तय की गयी थी। इसको लेकर विभिन्न तबकों ने काफी आलोचना की थी। उसके बाद 26 सितंबर को निकासी सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति खाता कर दी गई थी।

बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगा दी गई थी। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है।

बैंक पर लगायी गयी पाबंदियों में कर्ज देना और नया जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध शामिल हैं। साथ ही बैंक प्रबंधन को हटाकर उसकी जगह आरबीआई के पूर्व अधिकारी को बैंक का प्रशासक बनाया गया।

उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक मामले से जुड़े घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखे हुए है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भरोसा दिया है कि पीएमसी बैंक के ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'आरबीआई गवर्नर ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह ग्राहकों के हित को ध्यान में रखेंगे और जल्द से जल्द उनकी दिक्कतें दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।