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Reuters/Vivek Prakash

भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने गुरुवार 4 अप्रैल को अधिकांश अर्थशास्त्रियों की उम्मीदों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के दौरान रीपो दर में 0.25% कटौती का फैसला किया, जिसके बाद अब रीपो दर 6.25% से घटकर 6.00% हो गई है। नई मौद्रिक नीति के तहत रिवर्स रीपो दर घटकर 5.75 प्रतिशत, जबकि बैंक दर 6.25 प्रतिशत पर आ गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई के छह-सदस्यीय दर-निर्धारण पैनल ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती की उम्मीदों के बीच अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति मीट शुरू की। फरवरी में रीपो दर में आश्चर्यजनक कटौती के बाद यह शक्तिकांता दास द्वारा की गई लगातार दूसरी दर में कटौती है।

दरअसल, रीपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रीपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।

बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है। आरबीआई ने इससे पहले फरवरी में तीन दिनों तक चली समीक्षा के बाद रीपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। आरबीआई ने इससे पहले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रीपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी थी।

बहरहाल, एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को 'तटस्थ' पर बरकरार रखा है। इस बार विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी मौद्रिक स्थिति के संबंध में अपने मौजूदा 'तटस्थ' रुख को बदलकर 'उदार' कर सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति दर नीचे बनी हुई है।

2-4 अप्रैल को चली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनकी दूसरी एमपीसी बैठक थी। समिति ने कहा है कि ये फैसेल मीडियम टर्म में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत कम-ज्यादा) तक रखने के लक्ष्य के मद्देनजर लिए गए हैं। लगातार कई महीनों की गिरावट के बाद फरवरी में खुदरा महंगाई दर में मामूली बढ़त देखने को मिली और यह 2.57 फीसदी पर पहुंच गई, जो चार माह का उच्चस्तर है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया है।

मौद्रिक नीति की प्रमुख बातें

- वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को नीचे की तरफ संशोधित कर 2.4 फीसदी कर दिया गया। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 2.9-3.0 फीसदी तथा दूसरी छमाही के लिए 3.5-3.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।

- एमपीसी ने गौर किया कि घरेलू अर्थव्यवस्था को खासकर वैश्विक मोर्चे पर प्रतिकूल स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए निजी निवेश को बढ़ावा देकर विकास दर को बढ़ावा देने की जरूरत है।

- मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 3,4 और 6 जून को होगी।

- डॉ. पामी दुआ, डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने रीपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती के पक्ष में मतदान किया। वहीं, डॉ. चेतन घाटे तथा डॉ. विरल वी. आचार्य ने नीतिगत दर में कोई परिवर्तन नहीं करने के पक्ष में मतदान किया।

- डॉ. पामी दुआ, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा, शक्तिकांत दास, डॉ. चेतन घाटे तथा डॉ. विरल वी. आचार्य ने 'तटस्थ' नीतिगत रुख बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया। वहीं, डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया ने नीतिगत रुख को 'तटस्थ' से 'उदार' करने के पक्ष में मतदान किया।