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सात महीने के अंदर दूसरी बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के किसी उच्च अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे आरबीआई को झटका लगा है। दरअसल आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था। खास बात ये है कि विरल आचार्य आरबीआई के उन बड़े अधिकारियों में शामिल थे, जिन्हें उर्जित पटेल की टीम का हिस्सा माना जाता था।

आचार्य 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद से केंद्रीय बैंक के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर थे। उन्होंने 23 जनवरी, 2017 को आरबीआई जॉइन किया था और पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को आरबीआई की स्वायत्तता बरकरार रखने की जरूरत को लेकर बयान दिया था।

ख़बरों के मुताबिक आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाएंगे। उनका परिवार भी न्यू यॉर्क में ही रहता है।

गौरतलब है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक पद छोड़ने के वक्त से ही आचार्य थोड़े असहज महसूस कर रहे थे। फाइनैंशल सिस्टम्स पर उनका अकादमिक नजरिया बाकियों से अलग होता था।

यही वजह है कि विरल आचार्य ने पिछले दो बार से मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आर्थिक विकास और महंगाई, दोनों मुद्दों पर उनकी अलग राय आई। हालिया मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के बीच वित्तीय घाटा और इसका सही-सही आकलन के मुद्दे पर असहमति दिखी।

बहरहाल, आरबीआई के वरिष्ठतम डिप्टी गवर्नर एन. विश्वनाथन का कार्यकाल खत्म होने वाला है। लेकिन, विरल आचार्य के अचानक पद छोड़ने के कारण विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।

न्यूयार्क विश्वविद्यालय के वित्त विभाग में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वी वी आचार्य वित्तीय क्षेत्र में प्रणालीगत जोखिम क्षेत्र में विश्लेषण और शोध के लिये जाने जाते हैं।

आईआईटी मुंबई के छात्र रहे आचार्य ने 1995 में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में स्नातक और न्यूयार्क विश्वविद्यालय से 2001 में वित्त में पीएचडी की है। वर्ष 2001 से 2008 तक आचार्य लंदन बिजनेस स्कूल में रहे।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से उर्जित पटेल का तीसरा बड़ा इस्तीफा था। इससे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं अगस्‍त 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने पद छोड़ दिया।