जबरदस्त बहुमत के साथ दोबारा देश की सत्ता सँभालने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्यपालिका में फैले भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है और वे भ्रष्ट अधिकारियों को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे है। एक सप्ताह पहले ही आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर करने के बाद अब मोदी सरकार ने मंगलवार को सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के 15 वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों में जबरन सेवामुक्त कर दिया।
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी के आरोपों में बर्खास्त किये गये इन अधिकारियों में प्रधान आयुक्त स्तर का भी एक अधिकारी शामिल है।
वित्त मंत्रालय के एक आदेश के मुताबिक नियम 56 (जे) के तहत सरकार ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के इन अधिकारियों को रिटायर कर दिया है, जिनमें प्रिंसिपल कमिश्नर से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर की रैंक के अधिकारी शामिल हैं। इनमें से कुछ पहले से ही निलंबित चल रहे थे।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई के द्वारा भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए गए थे या रिश्वतखोरी, वसूली और आय से अधिक संपत्ति के मामले चल रहे थे। आदेश में कहा गया है कि बर्खास्त किए गए अफसरों में प्रिंसिपल कमिश्नर अनूप श्रीवास्तव भी शामिल हैं, जो दिल्ली में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में प्रिंसिपल एडीजी (ऑडिट) के पद पर कार्यरत थे। जॉइंट कमिश्नर नलिन कुमार को भी छुट्टी दे दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि 1996 में सीबीआई ने अनूप के खिलाफ एक आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया था और आरोप लगाया था कि उन्होंने एक हाउस बिल्डिंग सोसायटी को फायदा पहुंचाया, जो कानून के खिलाफ जाकर जमीन खरीद के लिए एनओसी पाने की कोशिश कर रही थी। सीबीआई ने 2012 में भी अनूप श्रीवास्तव के खिलाफ कर चोरी मामले को ढंकने के लिए एक इम्पोर्टर से कथित तौर पर घूस मांगने और लेने का मामला दर्ज किया था।
उनके खिलाफ उत्पीड़न और जबरन वसूली की शिकायतें भी की गई थीं। वहीं, जॉइंट कमिश्नर नलिन कुमार पहले से निलंबित थे और उनके खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति समेत कई केस दर्ज किए थे। इन्हें भी मंगलवार को सरकार ने सेवा से हटा दिया।
वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, 'फंडामेंटल रूल्स के रूल 56 क्लॉज (जे) के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय राजस्व सेवा (सीएंडसीई) के 15 अफसरों को 50 साल की उम्र पूरी करने के बाद जनहित में तत्काल प्रभाव से रिटायर कर दिया है।'
In exercise of the powers conferred by clause (j) of rule 56 of the Fundamental Rules, the President of India has retired 15 Officers of Indian Revenue Service (C&CE) in public interest with immediate effect on completing 50 years of age.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 18, 2019
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक इन सभी 15 अधिकारियों को सेवानिवृत्ति से पहले मिलने वाले वेतन एवं भत्तों के मुताबिक तीन महीने के वेतन एवं भत्ते दिए जाएंगे। गौरतलब है कि नियम 56 (जे) के तहत जनहित में किसी भी सरकारी अधिकारी को उचित प्राधिकारी द्वारा तीन माह की नोटिस अवधि के साथ सेवामुक्त किया जा सकता है।
आदेश के मुताबिक कोलकाता में आयुक्त संसार चंद (घूसखोरी में), चेन्नै में आयुक्त जी श्री हर्ष (आय से अधिक संपत्ति केस) को भी बर्खास्त कर दिया गया है। इनके अलावा दो कमिश्नर रैंक के अधिकारियों- अतुल दीक्षित एवं विनय बृज सिंह को भी सेवा से मुक्त कर दिया गया है। इन्हें विभाग ने पहले ही निलंबित कर दिया था।
जबरन रिटायर किए गए अन्य अधिकारियों में दिल्ली जीएसटी जोन के उपायुक्त अमरेश जैन (आय से अधिक संपत्ति), अतिरिक्त आयुक्त रैंक के दो अधिकारियों अशोक महीदा और विरेंद्र अग्रवाल, सहायक आयुक्त रैंक के अधिकारियों एसएस पबाना, एसएस बिष्ट, विनोद सांगा, राजू सेकर, मोहम्मद अल्ताफ (इलाहाबाद) और दिल्ली के लॉजिस्टिक्स निदेशालय में उपायुक्त अशोक असवाल शामिल हैं।
आपको बता दें कि एक हफ्ते पहले ही मोदी सरकार ने आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था। जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी, उनमें एक जॉइंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। इन अफसरों पर रिश्वत, वसूली, एक पर महिला अफसरों का यौन शोषण करने के गंभीर आरोप लगे थे। इसके अलावा भ्रष्टाचार के आरोप में संयुक्त आयुक्त स्तर के चार आयकर अधिकारियों को पदावनत कर उपायुक्त रैंक का बना दिया गया।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।