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मनोहर पर्रिकर का नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले खिचड़ी बालों वाले, आधी बाजू की कमीज और सादी पतलून के नीचे पैरों में सैंडल वाले एक ऐसे व्यक्ति की छवि आती है जो इन्ही कपड़ों में संसद भी पहुंच जाया करते थे। उन्हें स्कूटर पर पीछे बैठने से भी गुरेज नहीं था। उनकी सादगी का आलम यह था कि विपक्षी भी उनकी सादगी के कायल थे।

हाफ शर्ट पहनकर स्कूटर पर पीछे बैठे मनोहर पर्रिकर की तस्वीर काफी चर्चित हुई थी और यह देश के सभी अखबारों और वेबसाइट्स पर पब्लिश भी हुई थी। 2012 के गोवा विधानसभा चुनावों में कैम्पेनिंग के दौरान पर्रिकर लगातार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के दौरे पर थे। उस वक्त बेनॉलिम सीट से विधायक सेतानो सिल्वा एक स्कूटर चला रहे थे और सीएम पर्रिकर पीछे बैठे थे।

1994 में पर्रिकर पहली बार पणजी से चुनकर आए थे और निधन होने तक यह सीट उनके कब्जे में थी। वह स्थानीय लोगों के साथ घुले-मिले हुए थे। पाव बेचने वाले से लेकर मछुआरों तक से वह बात करते रहते थे और कभी साइकल लेकर लोगों के बीच निकल जाते थे।

एक प्रमुख घटना पर्रिकर के बतौर सीएम पहले कार्यकाल की है, जब देर रात कहीं से लौटते वक्त पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया था। अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक नाकेबंदी ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों ने पर्रिकर को नहीं पहचाना था और देर रात बाहर रहने की वजह पूछने लगे थे। बिना लालबत्ती लगी सिंपल सी कार में आगे की सीट पर बैठा शख्स मुख्यमंत्री के प्रचलित तरीकों पर फिट भी तो नहीं बैठता था।

पर्रिकर से जुड़ा ऐसा ही एक और किस्सा है जब पणजी के एक फेमस फाइव स्टार होटल के गार्ड ने उन्हें सिक्यॉरिटी चेक के लिए रोक लिया था। बाद में एक फंक्शन के दौरान पर्रिकर ने स्वीकार किया कि उन्हें बुरा लगा था, लेकिन इसके लिए उन्होंने गार्ड को कसूरवार नहीं ठहराया। उनकी पोशाक साधारण होती थी और हमेशा उनके पैरों में ट्रेडमार्क चप्पल ने उनके व्यक्तित्व को बुलंद किया। उन्होंने अपनी आधिकारिक कार में बत्ती लगाने की परंपरा को न कहा, अपनी आधिकारिक गाड़ी में ड्राइवर के बगल में बैठना शुरू किया।

पर्रिकर कभी भी किसी शादी समारोह या पार्टी में स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं लेते थे। आशीर्वाद देने के लिए भी वह लाइन में ही लगकर जाते थे, यहां तक कि अपने ही बेटे की शादी में उन्होंने हाफ शर्ट पहन रखा था। देश के रक्षा मंत्री के तौर पर भी वह हमेशा से इकॉनमी क्लास में ही ट्रैवल करते थे और अपना एक बैग खुद ही कैरी करते थे।

गोवा में जहां एक आईआईटी ग्रैजुएट को पहचानना मुश्किल नहीं होता है, लेकिन पर्रिकर अपने छोटे से सरकारी दफ्तर में फाइल लेकर बैठते था। वह सड़क किनारे के स्टार या फिर होटल में बैठ पाव भाजी और मिर्ची पकौड़ा खाते नजर आ जाते थे।

बता दें कि 63 साल के पर्रिकर लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। रविवार को वह इस भयानक बीमारी से जिंदगी की जंग हार गए और अपने गृह राज्य गोवा में ही उन्होंने आखिरी सांसें लीं। इस मौके पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तमाम नेताओं ने दुख जताया।