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सत्रहवीं लोकसभा का पहला सत्र मंगलवार को संपन्न हो गया जिसमें कुल 37 बैठकें हुईं और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने एवं राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के संकल्प और विधेयक तथा तीन तलाक विरोधी विधेयक सहित कुल 36 विधेयक पारित किए गए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा करते हुए कहा कि यह 1952 से लेकर अब तक का सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सत्र सात अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन सरकार के आग्रह पर बिरला ने इसे एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से शुरू हुआ था जो आज खत्म हो रहा है, जिसमें कुल 37 बैठकें हुआ, जो करीब 280 घंटे तक चली. सत्र की पहली बैठक कुछ देर मौन रहकर शुरू हुई थी। 17 और 18 जून को कुल 539 सदस्यों ने शपथ ली। 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन का प्रस्ताव रखा गया और सभा को मुझे चुनने के लिए गर्व महसूस कर रहा हूं।

लोकसभा स्पीकर ने कहा कि सभा ने 24 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव को 13 घंटे की चर्चा के बाद स्वीकार किया। साथ ही अहम विधायी कामों को निपटान हुआ, बजट पर 23 घंटे, रेलवे अनुदानों पर 13 घंटे, सड़क अनुदान मांगों पर 7 घंटे, ग्रामीण विकास अनुदानों पर 9 घंटे, युवा मामलों की मांगों पर 4 घंटे तक चर्चा चली। अन्य बकाया अनुदान मांगों को 17 जुलाई को रखा गया और स्वीकार किया गया। वर्तमान सत्र में कुल 36 विधेयक पारित हुए और संसद के अंदर 1992 से आजतक सबसे ज्यादा बिल आप सभी ने पारित किए हैं।

लोकसभा स्पीकर ने कहा कि सदन ने करीब 70 घंटे तक बैठक चर्चा की साथ ही नए सांसदों को भी ज्यादा से ज्यादा प्रश्न पूछने का मौका मिला।

बिरला ने कहा कि इस सत्र में कोई व्यवधान नहीं हुआ। सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और सदन के नेता नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और विभिन्न दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया। बिरला ने कहा कि इस सत्र में कुल 33 सरकारी विधेयक विचार के लिए पेश किए गए और 36 विधेयक पारित किए गए।

उन्होंने कहा कि इस सत्र में जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने संबंधित दो संकल्पों, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, तीन तलाक विरोधी 'मुस्लिम महिला अधिकार (संरक्षण) विधेयक-2019', मोटरयान संशोधन विधेयक-2019, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 और मजदूरी संहिता विधेयक प्रमुख हैं।

बिरला ने कहा कि कुल 265 नवनिर्वाचित सदस्यों में से अधिकतर सदस्यों को शून्य काल अथवा किसी न किसी विधेयक पर चर्चा में बोलने या प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि 46 नवनिर्वाचित महिला सदस्यों में से 42 को सदन में अपनी बात रखने का अवसर मिला।

बिरला ने कहा कि 183 तारांकित प्रश्न पूछे गए, लेकिन 1086 लोकहित से जुड़े मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाए गए।उन्होंने कहा कि 1952 से यह अब तक का सबसे उपयोगी सत्र रहा है और इसमें 125 फीसदी कामकाज हुआ।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।