भीषण गर्मी से जूझ रहा पूरा देश इस समय बेसब्री से बरसात का इंतजार कर रहा है और तकरीबन सात दिनों की देरी के बाद आखिरकार मॉनसून ने शनिवार को केरल तट पर दस्तक दे ही दी और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को इसका ऐलान भी कर दिया। मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, 'मॉनसून ने आज (8 जून) केरल में दस्तक दे दी है।'
तटीय राज्य केरल के तमाम इलाकों में अच्छी बारिश औरपचारिक रूप से शुरू हो गई है। वैसे मॉनसून में देरी का सीजन में कुल हुई बारिश से कोई संबंध नहीं है। यह जरूरी नहीं कि मॉनसून के दस्तक देने में देरी से सीजन में बारिश भी कम होगी। हालांकि, केरल इस देरी की वजह से देश के दूसरे हिस्सों में भी मॉनसून देरी से पहुंचेगा।
गर्मी की मार झेल रहे इलाकों में मॉनसून का काफी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। देश का ज्यादातर हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। पश्चिम और दक्षिण भारत के ज्यादातर जलाशलों में पानी का स्तर काफी नीचे पहुंच जा चुका है। सिंचाई के वैकल्पिक साधन नहीं होने की वजह से ज्यादातर ग्रामीण भारत 4 महीने चलने वाले मॉनसून सीजन पर निर्भर है। मॉनसून सीजन में सालाना बारिश का 75 प्रतिशत बारिश होती है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, भू-विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने भी ट्वीट कर केरल में मॉनसून के दस्तक देने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केरल में अगले 2 से 3 दिनों तक औसत से लेकर भारी बारिश होने की संभावना है।
अच्छे मॉनसून का देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा असर पड़ता है क्योंकि भारत की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और दक्षिण भारत के कई हिस्से तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच चुका है। राजस्थान के कुछ हिस्सों में तो पारा 50 डिग्री के भी पार पहुंच चुका है। मॉनसून के दस्तक देने से लोगों को जल्द ही चढ़ते पारा से राहत मिल सकेगी।
दिल्ली में मॉनसून आम तौर पर 29 जून को दस्तक देता है लेकिन मौसम विभाग ने गुरुवार को बताया कि उसके राष्ट्रीय राजधानी में आने में 2 से 3 दिन की देरी हो सकती है। हालांकि, निजी एजेंसी स्काइमेट के मुताबिक यह देरी कम से कम एक हफ्ते की हो सकती है। शहर में सामान्य मॉनसून की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में भी सामान्य मॉनसून के आसार हैं।
मौसम विभाग तब मॉनसून के दस्तक का ऐलान करता है जब केरल में 10 मई के बाद सूबे में स्थित 14 स्टेशनों में से कम से कम 60 प्रतिशत में 2.5 मिलिमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो या फिर लगातार दो दिनों तक बारिश हो। केरल में ये 14 स्टेशन हैं- मिनिकॉय, ऐमिनी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर, कोल्लम, कोट्टायम, कोझिकोड, कोच्चि, अलपुझा, थलास्सेरी, कन्नूर, कुडुलु और मैंगलोर। यह मॉनसून की दस्तक के ऐलान में सबसे बड़ा कारक है। इसके अलावा 2 अन्य फैक्टरों में पछुआ हवा की गति और लॉन्ग-वेव रेडिएशन शामिल हैं।
3 साल पहले 2016 में भी मॉनसून ने 8 जून को ही दस्तक दिया है। मौसम विभाग ने इस साल के लिए 96 प्रतिशत लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) बारिश की भविष्यवाणी की है जो सामान्य से थोड़ी से कम बारिश है। 1951 से लेकर 2000 तक देश में मॉनसून सीजन में कुल औसतन 89 सेंटीमीटर बारिश हुई है। वैसे, मौसम विभाग ने कहा है कि 2019 में मॉनसून 'सामान्य' रहेगा।
जून में बारिश पर अल-नीनो का प्रभाव पड़ सकता है। आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि अल-नीनो का संबंध प्रशांत महासागर के पानी के गर्म होने से जुड़ा है और इसका मॉनसून पर असर पड़ता है। मॉनसून में देरी का सीजन में होने वाली बारिश के बीच कोई सह-संबंध नहीं है। हालांकि, मॉनसून के आने में हुई देरी से देश के दूसरे हिस्सों में भी वह लेट पहुंचेगा।
भारत में इस साल मेनलैंड पर दस्तक से पहले 18 मई को ही साउथ अंडमान सी पर मॉनसून ने दस्तक दी थी। पिछले महीने मौसम विभाग ने कहा था कि यह केरल में करीब 6 दिनों की देरी से 6 जून को पहुंचेगा। हालांकि, स्थितियां उसके तेज पहुंचने के पक्ष में नहीं थीं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।