Corona

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस के 206 मामले हैं, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 22 नये मामले दर्ज करने के बाद यह आंकड़ा 195 बताया है। 'कोविड-19' संक्रमण से विश्वभर में करीब 10,000 लोगों की मौत हो चुकी है।

इस बीच, संक्रमण मुक्त हो चुके 69 वर्षीय इतालवी पर्यटक को दिल का दौरा पड़ने से जयपुर के एक अस्पताल में उसकी बृहस्पतिवार रात मौत हो गई। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सुधीर भंडारी ने यह जानकारी दी। आईसीएमआर के 20 मार्च को अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक कुल 206 लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।

आईसीएमआर ने बताया, ''13,486 लोगों से कुल 14,376 नमूनों की 20 मार्च तक सार्स-कोवी2 जांच की गई।'' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 195 आंकड़े में 32 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। विदेशियों में इटली से 17, फिलपीन से तीन, ब्रिटेन से दो, कनाडा, इंडोनेशिया और सिंगापुर से एक-एक मामला शामिल है। मंत्रालय के आंकड़ों में दिल्ली, कर्नाटक, पंजाब और महाराष्ट्र में अब तक हुई चार मौतें भी शामिल हैं।

मंत्रालय के अनुसार- देश में कोविड-19 के अभी 171 मामले हैं।'' इसके अलावा 20 लोग वे हैं, जो ठीक हो गये हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि चार लोगों की मौत हो गई है। दिल्ली में अभी तक एक विदेशी सहित 17 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में भी एक विदेशी सहित 19 मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में तीन विदेशियों समेत 47 मामले सामने आए हैं जबकि केरल में दो विदेशी नागरिकों समेत 28 मामले दर्ज किए गए हैं।

राजस्थान में सात मामले हैं जिनमें दो विदेशी शामिल हैं। कर्नाटक में कोरोना वायरस के 15 मरीज हैं। लद्दाख में संक्रमण के मामले बढ़कर 10 हो गए हैं और जम्मू-कश्मीर में इसकी संख्या बढ़कर चार हो गई है। तेलंगाना में नौ विदेशियों समेत 16 मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु में तीन मामले सामने आए हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में दो लोग इससे संक्रमित हैं। ओडिशा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, चंडीगढ़ और पंजाब में एक-एक मामला सामने आया है। हरियाणा में 14 विदेशियों समेत 17 लोग संक्रमित हैं।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने विज्ञप्ति जारी कर बताया, '' 22 मार्च को जनता कर्फ्यू को देखते हुए दिल्ली मेट्रों ने अपनी सेवाएं बंद रखने का फैसला किया है। विज्ञप्ति ने कहा, ''इस कदम का उद्देश्य लोगों को घरों में ही रहने के लिए प्रोत्साहित करना है क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए सामाजिक दूरी जरूरी है।

इस बीच, कारोबारी संगठन सीएआईटी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनता कर्फ्यू की अपील को ध्यान में रखते हुए देश भर में इसके सदस्य रविवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखेंगे।

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Reuters

लंदन से लौटी एक संक्रमित महिला के पीजीआईएमईआर से भागने और बाद में उसके खिलाफ एक मामला दर्ज किये जाने के बाद केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने उसके परिवार के सदस्यों से जांच कराने तथा कोरोना वायरस प्रभावित देशों से लौट रहे लोगों को पृथक रखने के सरकार के कदम का प्रतिरोध नहीं करने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि यह विरोध करना इस विषाणु को फैलने से रोकने की दिशा में ''उचित नजरिया'' नहीं है। रेड्डी ने कहा, ''कोरोना वायरस प्रभावित देशों से लौट रहे भारतीयों की यहां जांच की जा रही है और उन्हें पृथक किया जा रहा है। हालांकि उनमें से कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। मेरे पास अभिभावकों के फोन कॉल आ रहे हैं जो उनके बच्चों को छोड़े जाने का अनुरोध करते हुए कहते हैं कि वे घर पर उनका ख्याल रखेंगे। यह सही नजरिया नहीं है।''

उन्होंने कहा, ''हम देश में इस बीमारी का संक्रमण बढ़ने से रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं। मैं सभी अभिभावकों से हमारे इस प्रयास में साथ देने की अपील करता हूं।''

रेड्डी ने बताया कि देशभर में करीब 69,000 लोगों को घरों में पृथक रखा गया है और सरकार इस प्रकार के कदम उठा रही है क्योंकि भारत घनी आबादी वाला देश है। उन्होंने लोगों से रविवार को सुबह सात से रात नौ बजे तक 'जनता कर्फ्यू' का पालन कर यह दिखाने का भी अनुरोध किया कि वे आगामी दिनों में हर संभावित परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

रेड्डी ने कहा कि दुर्भाग्य से इस बीमारी के उपचार के लिए अभी कोई दवाई नहीं है और इससे निपटने का एकमात्र तरीका इसे फैलने से रोकना है। उन्होंने लोगों से एहतियात बरतने और दूरी बनाए रखने की अपील की। रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकारों से इस बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के बजट का इस्तेमाल करने और राज्य आपदा प्रतिक्रिया फंड का उपयोग करने को कहा गया है।

भारत क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और उनकी अदाकारा पत्नी अनुष्का शर्मा ने एक संयुक्त अपील में लोगों से स्व पृथक रहने की अपील की है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.