हालांकि भारत और पाकिस्तान ने 2003 के युद्धविराम समझौते को मानने पर रजामंदी जता दी है, लेकिन बीते कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर राज्य में युद्धविराम उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं जिनमें कुछ लोगों की मौत की भी खबर है. इस सबके बीच कुछ स्थानीय निवासियों का आतंकी संगठनों में शामिल होना प्रशासन की मुसीबतों को और बढ़ाने का काम कर रहा है.
एनडीटीवी के मुताबिक ऐसा एक नाम हो सकता है शम्स-उल-हक मंगू का जिसके क्षेत्र में सक्रिय ऐसे ही किसी आतंकी संगठनों में शामिल होने का पूरा शक है. खबर है कि आईएसआईएस-कश्मीर और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे संगठनों ने कुछ स्थानीय युवाओं को अपने साथ जोड़ा है और शम्स भी उनमें से एक हो सकता है. अंसार गजवात-उल-हिंद अल कायदा के समर्थन का दावा करता है.
पुलिस ने अब कहा है कि अगर अगर शम्स वास्तव में किसी आतंकी संगठन में शामिल हो भी गए हैं तो वे उन्हें मुख्यधारा में वापस लाने का पूरा प्रयास करेंगे.
कौन है शम्स-उल-हक मंगू?
- शम्स जम्मू-कश्मीर कैडर के बाहर तैनात आईपीएस अधिकारी इनामुुल-हक मंगू के भाई हैं.
- मंगू को शोपियां जिले के द्रागुड गांव का रहने वाला बताया जा रहा है.
- शम्स कश्मीर के बाहरी इलाके में स्थित एक साकारी काॅलेज से यूनानी दवा और सर्जरी (बीएएमएस) की पढ़ाई कर रहा है.
- वह 26 मई से लापता है.
- हालांकि अभी तक उनके परिजनों से इस बाबत पुलिस से कोई संपर्क नहीं किया है.
इस बीच नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने न्यूज18 को बताया कि प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है और इसके अलावा परिवार द्वारा गुमशुदा की सूचना देने का इंतजार किया जा रहा है.
बताया जाता है कि कई युवा इन आतंकी सगठनों में शामिल हो रहे हैं और इनमें से अधिकतर युवा दक्षिण कश्मीर के शोपियां और पुलवामा जिलों के रहने वाले हैं. सिर्फ मई 2018 में ही 20 से भी अधिक युवाओं के आतंकी संगठनों से जुड़ने की सूचना है और अधिकारियों ने एनडीटीवी को बताया कि हो सकता है कि 2018 के अंत तक यह आंकड़ा सबसे अधिक भर्तियों के रिकाॅर्ड को तोड़ दे.