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IANS

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 4 दिसंबर को पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किये गए आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सशर्त जमानत दी.

अदालत के आदेश के तहत उनका पासपोर्ट जब्त रहेगा. ताकि वह देश छोड़कर ना जा पाएं. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जेल से बाहर आने के बाद वह मीडिया से बात नहीं करेंगे. प्रेस इंटरव्यू और मीडिया में बयान देने पर रोक लगा दी गई है. उन्हें दो लाख के बॉन्ड और दो लाख के मुचलके पर जमानत दी गई है.

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, 'अपराध की गंभीरता को हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से निपटना पड़ता है. आर्थिक अपराध गंभीर अपराध हैं. न्यायालयों को मामले की प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना होगा. अपराध की 'गंभीरता' को ध्यान में रखने के लिए दी जाने वाली शर्तों में से एक है निर्धारित सजा. यह ऐसा नियम नहीं है कि हर मामले में जमानत से इनकार किया जाना चाहिए. निष्कर्ष यह है कि किसी अन्य मामले की मिसाल के आधार पर जमानत देने या जमानत से इंकार करने की जरूरत नहीं है. केस टू केस आधार पर विचार होना चाहिए.'

साथ ही कहा, 'दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपराध के गंभीरता से संबंधित जमानत को सही ठहराया था. हालांकि, हम मामले की मेरिट पर दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं. वर्तमान परिस्थितियों में हम सीलबंद कवर दस्तावेज़ों को खोलने में रुचि नहीं रखते थे. लेकिन जब इसे दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खोला गया था तो हमने सीलबंद कवर की सूचना ले ली है. पूर्व में जमानत के लिए मना कर दिया गया था और अपीलकर्ता 40 दिनों के लिए पूछताछ के लिए उपलब्ध था.'

कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अपनी दलील में कहा कि चिदंबरम की महज उपस्थिति ही गवाहों को डराने-धमकाने के लिए काफी है, उन्हें कम से कम तब तक जमानत नहीं दी जाए जब तक अहम गवाहों से पूछताछ नहीं हो जाती.

सीबीआई ने कहा, 'आज ऐसा दौर है जब आर्थिक अपराधों के आरोपी देश से भाग रहे हैं, एक राष्ट्र के रूप में हम इस समस्या से जूझ रहे हैं.' सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि भ्रष्टाचार मामले की जांच जारी है और सिंगापुर तथा मॉरीशस को भेजे गए आग्रह पत्र पर जवाब का इंतजार किया जा रहा है.

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालयREUTERS/Anindito Mukherjee

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. उन्हें आईएनएक्स मीडिया करप्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है अब मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिली है.

आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने जमानत अर्जी का विरोध किया था और कहा था कि गवाहों को प्रभावित किए जाने का खतरा है. आरोपी चिंदबरम जेल में रहते हुए भी गवाहों पर प्रभाव रखते हैं.

आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी फंड प्राप्त करने के संबंध में अनियमितता पाई गई थीं। यह पाया गया था कि फंड के लिए क्लियरेंस देने में विदेश निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) में गड़बड़ियां हुई थीं. उस वक्त पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे.

सीबीआई ने मई 2017 को चिदंबरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. कांग्रेस नेता पर आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया समूह को लाइसेंस देने के बदले उन्होंने अपने पुत्र की कंपनी को मदद करने का प्रस्ताव रखा था. उन पर पद का दुरुपयोग, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.

कांग्रेस नेता को अगस्त महीने में हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया. पिछले 107 दिनों से चिदंबरम हिरासत में ही हैं. इससे पहले आईएनएक्स मनी लॉन्ड्रिंग केस में ही उनके बेटे कार्ति को भी कुछ दिन जेल में बिताना पड़ चुका है.