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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।

जस्टिस सुनील गौर ने चिदंबरम की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने 25 जनवरी को इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह धनशोधन का एक अनूठा मामला है और इस तरह के मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। चिदंबरम के वकील ने अपील के लिए तीन दिन का समय मांगा था, जिसे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनकी लीग टीम आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कपिल सिब्बल से चिदंबरम की याचिका को बुधवार को सीनियर जजों के सामले पेश करने को कहा है। इसके बाद जज तय करेंगे कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए या नहीं।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीनियर वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने वकीलों की एक टीम के साथ उन संभावनाओं पर चर्चा की, जिसके तहत हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ने चिदंबरम के साथ भी चर्चा की। इसके बाद सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों से चिदंबरम की याचिका को रजिस्ट्रार के सामने पेश करने को कहा।

इस बीच कांग्रेस के एक अन्य नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और चिदंबरम के वकीलों के साथ विचार-विमर्श में शामिल हुए। टीम में चर्चा करने वाले वकीलों में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट से बाहर आने के बाद सिब्बल ने कहा, 'हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हमले जज से कहा कि हमें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का समय मिले, इसके लिए जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश नहीं होता तब तक इस फैसले पर रोक लगा दी जाए। लेकिन जज ने शाम 4 बजे फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब हमने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से बात की है। सीजेआई ने कल (बुधवार) मामले को सीनियर जजों के सामने याचिका पेश करने को कहा है। इसके बाद सीनियर जज तय करेंगे कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए या नहीं।'

जिरह के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), दोनों ने ही चिदंबरम की अर्जी का इस आधार पर विरोध किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह सवालों से बच रहे हैं। दोनों जांच एजेंसियों ने दलील दी थी कि चिदंबरम के वित्त मंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान मीडिया समूह को 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी प्रदान की गई थी।

ईडी ने दलील दी कि जिन कंपनियों में राशि हस्तांतरित की गई वे सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर चिदंबरम के पुत्र कार्ति द्वारा नियंत्रित हैं और उनके पास यह मानने का एक कारण है कि आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी उनके पुत्र के हस्तक्षेप पर प्रदान की गई। हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2018 को चिदंबरम को दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसे समय समय पर बढ़ाया गया।

2007 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये स्वीकार करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की ओर से दी गई मंजूरी में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ ईडी और सीबीआई दोनों जांच एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। कार्ति पर प्रमुख आरोप ये है कि पिता के वित्तमंत्री रहते हुए उन्होंने इसका फायदा उठाकर कई कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।

एजेंसी का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया समूह में विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति दिलाने के लिए चिदंबरम ने अपने पद का दुरुपयोग किया था और अपने बेटे कार्ति के जरिए 300 करोड़ से ज्यादा की घूस ली थी। पूछताछ में इंद्राणी बता चुकी है कि वह एफआईपीबी की मंजूरी के सिलसिले में कार्ति चिदंबरम से मिली थी।