लोकसभा में सोमवार, 9 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किये गए नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक पर ऐतराज जताते हुए बिल की कॉपी ही फाड़ दी जिसके बाद भारी हंगामे के बाद स्पीकर की चेयर पर मौजूद रमा देवी ने उनकी इस हरकत को कार्यवाही से बाहर निकालने का आदेश दिया।
ओवैसी ने लोकसभा में बिल का तीखा विरोध करते हुए कहा कि हमने जिन्ना की बात को नकारा और मौलाना आजाद की बात के साथ चले, उन्होंने कहा था कि हमारा हिंदुस्तान से 1000 साल का संबंध है। आखिर सरकार को मुस्लिमों से इतनी समस्या क्यों है।
इस दौरान ओवैसी ने कहा कि ये और एक परिवर्तन होने जा रहा है। यह बिल संविधान के विरुद्ध है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अनादर करता है। मैं बिल फाड़ता हूं, यह हमारे देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है।
Asaduddin Owaisi, AIMIM on #CitizenshipAmendmentBill2019 in Lok Sabha: Ye aur ek partition hone ja raha hai...This bill is against the Constitution of India and disrespect to our freedom fighters. I tear the bill, it is trying to divide our country. https://t.co/aQ2LFl5jG8
— ANI (@ANI) December 9, 2019
बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, 'मैं इस बिल के खिलाफ खड़ा हूं। हमने जब यह संविधान बनाया था, तब से अब तक कितनी गिरावट हो चुकी है। राजेंद्र प्रसाद ने संविधान की प्रस्तावना को भगवान या खुदा का नाम लिखने का विरोध किया था।'
ओवैसी ने कहा कि आखिर हमारा गुनाह क्या यही है कि हम मुसलमान हैं। आप मुस्लिमों को स्टेटलेस बना रहे हैं। यह एक और विभाजन होने जा रहा है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था। भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी।