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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश कर दी है। ट्रंप ने कश्मीर में हिंदू-मुस्लिम का राग अलापते हुए कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर इस हफ्ते के अंत में यह मुद्दा उठाएंगे। बता दें कि फ्रांस में इस सप्ताह के अंत में जी-7 सम्मेलन में दोनों नेता मिलने वाले हैं। बता दें कि ट्रंप ने कुछ दिन पहले भी कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही थी लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने इसे द्विपक्षीय मामला बताया था।

ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, 'कश्मीर बेहद जटिल जगह है। यहां हिंदू हैं और मुसलमान भी और मैं नहीं कहूंगा कि उनके बीच काफी मेलजोल है।' उन्होंने कहा, 'मध्यस्थता के लिए जो भी बेहतर हो सकेगा, मैं वो करूंगा।'

गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के अमेरिका दौरे के वक्त डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि नरेंद्र मोदी ने उनसे जम्मू-कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की बात कही थी। हालांकि उनके इस दावे का खुद वाइट हाउस ने ही खंडन किया था। अब भारत का अनुच्छेद 370 पर फैसला और उसके बाद सरकार के रुख से साफ है कि भारत इस मसले पर किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के सख्त खिलाफ है। इसके बाद एक बार फिर डॉनल्ड ट्रंप ने कश्‍मीर मुद्दे पर मध्‍यस्‍थता की पेशकश की है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और सूबे के पुनर्गठन के चलते पाकिस्तान से तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अगस्‍त को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बात की थी। दोनों नेताओं के बीच टेलिफोन पर करीब 30 मिनट लंबी बातचीत हुई।

इस दौरान पीएम मोदी ने पाक से संबंधों को लेकर बिना उसका नाम लिए ट्रंप से कहा कि कुछ नेताओं का भारत के खिलाफ हिंसा का रवैया शांति की प्रक्रिया में बाधक है। उनका इशारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ था, जिन्होंने हाल में भारत विरोधी कई बयान दिए हैं।

बता दें कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। कुछ दिन पहले भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अब पड़ोसी देश से केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर ही बात होगी। इन सबके बीच ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से कश्मीर के मुद्दे पर बात की थी और दोनों देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया था।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।