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Reuters

अमेरिका के एक थिंक टैंक के मुताबिक एच-1बी वीजाधारकों को ''अकसर'' खराब कामकाजी हालात में काम कराया जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार की आशंका बनी रहती है। थिंक टैंक ने बृहस्पतिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए उनके वेतन में संतोषजनक वृद्धि करने जैसे सुधार करने की मांग की।

'साउथ एशिया सेंटर ऑफ द अटलांटिक काउंसिल' ने अपनी एक रिपोर्ट में वीजाधारकों के लिये काम के हालात अच्छे बनाने और और उन्हें जरूरी रोजगार अधिकार देने की भी मांग की।

यह रिपोर्ट हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिये गए उस बयान के बाद आई है जिसमें ट्रंप ने कहा था कि वह जल्द ही ऐसे सुधार करने जा रहे हैं जिससे एच-1बी वीजाधारकों को अमेरिका में रुकने और नागरिकता हासिल करने के आसान रास्ता का भरोसा मिलेगा।

ट्रंप ने बीते शुक्रवार ट्वीट किया था, ''अमेरिका में एच-1बी वीजा धारक आश्वस्त हो सकते हैं कि जल्द ही ऐसे बदलाव किये जाएंगे जिससे आपको यहां रूकने में आसानी होगी। साथ ही इससे यहां की नागरिकता लेने का रास्ता भी खुलेगा। हम प्रतिभाशाली और उच्च दक्ष लोगों को अमेरिका में करियर बनाने के लिए बढ़ावा देंगे।''

यह रिपोर्ट हॉवर्ड विश्वविद्यालय के रोन हिरा और साउथ एशिया सेंटर ऑफ द अटलांटिक काउंसिल के प्रमुख भरत गोपालस्वामी ने तैयार की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा व्यवस्था से न सिर्फ अमेरिकियों को नुकसान होता है बल्कि इससे एच-1बी कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की आशंका भी बनी रहती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "एच-1बी कर्मी कम वेतन पर काम कर रहे हैं, उनके उत्पीड़न की आशंका बनी रहती है और उनके लिये काम के हालात ठीक नहीं है। उचित अधिकार मिलने से न सिर्फ उनके जीवन में बदलाव होगा बल्कि इससे अमेरिकी कर्मियों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्याप्त सुरक्षा उपायों को अपनाने से यह भी सुनिश्चित होगा कि एच1बी कार्यक्रम विदेशी श्रमिकों की भर्ती से श्रमिकों की कमी को पूरा करके अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान दे।

थिंक टैंक ने तीन प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया और कहा कि ये सभी नियोक्ताओं पर लागू होने चाहिए। इनमें एच-वनबी वीजाधारकों का वेतन बढ़ाना और एक प्रभावी एवं उचित क्रियावली को लागू करने जैसे उपाय शामिल हैं। गौरतलब है कि अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीयों की बड़ी संख्या है।