भारत के बच्चों की ओर से 1961 में अमेरिका को उपहार स्वरूप दी गई 72 वर्षीय हथिनी अम्बिका हड्डियों के रोग से बहुत अधिक परेशान थी और ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं बचने पर यहां राष्ट्रीय चिड़ियाघर में पशु चिकित्सकों ने उसे हमेशा हमेशा के लिए इस दर्द से मुक्ति दे दी।
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि उत्तरी अमेरिका में तीसरी सबसे उम्रदराज एशियाई हथिनी अम्बिका को स्मिथसोनियन नेशनल जू में मौत की नींद सुला दिया गया।
स्मिथसोनियंस नेशनल जू और कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के स्टीवन मोनफोर्ट ने बताया, ''हमारे संरक्षण समुदाय में अम्बिका वास्तव में बेहद विशालकाय थी।''
चिड़ियाघर ने एक बयान में कहा कि उसके एशियाई हाथियों के झुंड की सबसे प्रिय उम्रदराज सदस्य अम्बिका को शुक्रवार को उचित तरीके से मृत्यु दी गई। हाल ही में उसकी तबीयत बिगड़ गई थी और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा था।
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट किया, ''ईश्वर भारत की ओर से प्रिय उपहार अम्बिका की आत्मा को शांति दें। बुजुर्ग एशियाई हथिनी अम्बिका की स्मिथसोनियंस नेशनल जू में मौत हो गई।''
RIP Ambika - a loving gift from India. Elderly Asian Elephant Ambika Dies at Smithsonian’s National Zoo | Smithsonian's National Zoo https://t.co/ISkmDRrgy9
— Taranjit Singh Sandhu (@SandhuTaranjitS) March 28, 2020
अम्बिका का जन्म भारत में 1948 के आसपास हुआ था। उसे कुर्ग के जंगल से पकड़ा गया था जब वह महज आठ वर्ष की थी। वर्ष 1961 तक उसका इस्तेमाल सामान लाने-ले जाने के लिए किया जाता रहा और उसके बाद भारत के बच्चों की ओर से उसे उपहार के तौर पर अमेरिका को दे दिया गया।
चिड़ियाघर के अधिकारियों के अनुसार अम्बिका का हड्डियों के रोग का इलाज चल रहा था जिसका पता सबसे पहले तब चला था जब वह 60 वर्ष की उम्र की थी। पिछले सप्ताह उसकी देखभाल करने वालों ने देखा कि अम्बिका का दाहिना पैर मुड़ गया था और उससे वह खड़ी नहीं हो पा रही थी।
उसके बाद यही फैसला किया गया कि उसे इस दर्द से हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति दे दी जाए।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा लिखा गया है.