सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरIANS

आप आने मोबाइल नंबर और बैंक खाते को अपने आधार नंबर से जोड़ना चाहते हैं या नहीं, अब यह आपकी मर्जी पर निर्भर करेगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बारे में दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने टेलीग्राफ अधिनियम और मनी लांडरिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी. दोनों अधिनियमों को संशोधित किया जाएगा ताकि नया मोबाइल नंबर लेने या बैंक खाता खोलने के लिये ग्राहक स्वेच्छा से 12 अंकों वाली आधार संख्या को साझा कर सकें.

यह निर्णय निजी कंपनियों को ग्राहकों के सत्यापन के लिए जैविक पहचान वाले आधार (Aadhaar) के इस्तेमाल पर सितंबर में सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद लिया गया है. दरअसल इस साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर अपने ऐतिहासिक फैसले में प्राइवेट कंपनियों द्वारा ऑनलाइन आधार ऑथेंटिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

कोर्ट के फैसले के बाद दूरसंचार और फिनटेक कंपनियों ने सरकार से आधार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से छूट की गुहार लगाई थी. सूत्रों के मुताबिक, दोनों मौजूदा कानूनों में प्रस्तावित संशोधन हो जाने के बाद कोई व्यक्ति नए मोबाइल फोन कनेक्शन लेने और बैंक अकाउंट खोलने के लिए 12 अंक वाली पहचान संख्या को अपनी मर्जी से साझा कर सकेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला, इसमें आड़े नहीं आएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट के सेक्शन 57 को खारिज कर दिया था, जिसके तहत सिम कार्ड और बैंक खातों के साथ आधार लिंकिंग अनिवार्य थी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस प्रावधान का कोई कानूनी आधार नहीं है. यही वजह है कि आधार के जरिए मोबाइल सिम जारी किए जाने को कानूनी समर्थन उपलब्ध कराने के लिए टेलिग्राफ ऐक्ट को संशोधित किया जा रहा है.

इसी तरह, PMLA में संशोधन के बाद लोगों के पास केवाईसी के लिए अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक कराने का विकल्प उपलब्ध होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में आधार की संवैधानिक वैधता पर मुहर लगाते हुए कहा था कि सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं की सब्सिडी के लिए के लिए इसे जरूरी बताया था.

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि बैंक अकाउंट खोलने या मोबाइल फोन कनेक्शन लेने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता. कोर्ट ने यह फैसला प्रिवेसी की चिंताओं को लेकर दाखिल की गईं याचिकाओं पर दिया था.

इसके अलावा, नए कानून में यूनिक आईडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) की वेबसाइट हैक करने पर सज़ा का भी प्रावधान है. इसके तहत अब अगर किसी ने UIDAI की वेबसाइट हैक करनी की कोशिश की, तो उसे 10 साल जेल में बिताने पड़ेंगे.

इससे पहले खबर आई थी कि चुनाव आयोग ने भी आधार को वोटर आईडी से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है. इससे फर्जी मतदाताओं पर लगाम लगेगी. प्राइवेसी के मुद्दे पर सरकार जस्टिस श्रीकृष्णा कमीझन की रिपोर्ट के आधार पर डेटा प्रोटेक्शन बिल जाने जा रही है. इसमें प्राइवेसी से जुड़े कई प्रावधान हैं.