पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)Twitter/@AITCofficial

पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए राज्य विधानसभा में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण विधेयक पास कराया गया है। भीड़ द्वारा हमला करने और लिंचिंग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए शुक्रवार को ऐसे मामलों को अपराध की संज्ञा देते हुए विधानसभा ने पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक पारित किया है।

इससे पहले बंगाल सरकार ने शुक्रवार सुबह सदन में इस विधेयक को पेश किया, जिसका विपक्षी दलों सीपीएम और कांग्रेस ने भी समर्थन किया। शुक्रवार को पास विधेयक के लागू होने के बाद मॉब लिंचिंग के अपराध पर तीन साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकेगी।

मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी बीजेपी राजनीतिक रूप से इसका दुरुपयोग होने की आशंका में इस विधेयक का ना तो समर्थन किया और ना ही इसकी खिलाफत की।

विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में कहा, 'लिंचिंग एक सामाजिक बुराई है और हम सभी को उसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने लिंचिंग के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।'

ममता ने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसे अपराधों के विरूद्ध कानून लाना चाहिए। चूंकि उसने अबतक ऐसा किया नहीं है। इसलिए हम इस सामाजिक बुराई के खिलाफ संघर्ष के लिए अपने राज्य में यह कानून ला रहे हैं।

अपने भाषण में सीएम ने आगे कहा, 'इस विधेयक का उद्देश्य लिंचिंग की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और लिंचिंग की घटनाएं रोकना है। इसमें ऐसे अपराध को करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।'

इस कानून में मारपीट और पीड़ित को घायल करने के अपराध पर तीन साल कारावास से लेकर आजीवन कैद तक का प्रावधान किया गया है। विधेयक में कहा गया है कि यदि ऐसी मारपीट में पीड़ित व्यक्ति की जान चली जाती है तो इसके जिम्मेदार व्यक्तियों को मृत्युदंड या आजीवन सश्रम कारावास और पांच लाख तक जुर्माना हो सकता है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।