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Rajkot City Police/Twitter (screen-shot)

हाल ही में एक साल पूरा करने वाले बहुचर्चित और मशहूर मल्टीप्लेयर मोबाइल गेम पबजी को भारत में बैन करने से जुड़ी मांग पर कई शहरों में कानूनी कदम उठाए गए हैं। सबसे पहले राजकोट पुलिस की ओर से इसे बैन किया गया और इसके बाद कई शहरों ने ऐसे ही कदम उठाए हैं। राजकोट पुलिस कमिश्नर मनोज अग्रवाल का कहना है कि पबजी पर यह बैन 9 मार्च से लगाया गया है और फिलहाल 30 मार्च तक के लिए है।

बता दें कि पबजी डाउनलोड करने के लिए उम्र सीमा 16 साल अधिक होनी चाहिए लेकिन बावजूद इसके बच्चे इस गेम को खेल रहे हैं जिसका बुरा असर उनके दिमाग पर देखने को मिल रहा है। इसलिए इस गेम के बैन की मांग उठाई जा रही है।

पबजी मोबाइल गेम को बच्चों के लिए 'अडिक्टिव' और खतरनाक बताते हुए भावनगर और गिर सोमनाथ के कुछ इलाकों में भी बैन कर दिया गया है। दोनों ही जिलों के जिलाधिकारियों ने इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिए हैं। इस बैन के दौरान पबजी खेलने वाले किसी भी यूजर के खिलाफ पुलिस में शिकायत की जा सकेगी और जांच में दोषी पाए जाने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत उसे जेल तक भेजा जा सकता है। बता दें, धारा 188 तब लागू होती है जब कोई कानूनी संस्था द्वारा जारी किए गए निर्देश का उल्लंघन करता है। हालांकि, शुरुआत में कुछ शर्तों के साथ इसे लचीला रखा जाएगा।

बता दें, कुछ ऐसा ही बैन बीते दिनों मोमो चैलेंज पर भी लगाया गया था, जो लोगों को खतरनाक चैलेंजेस की सीरीज पूरा करने के लिए प्रेरित करता था।

हालांकि पुलिसकर्मियों को इस बैन से बाहर रखा गया है क्योंकि उन्हें जांच के दौरान गेम खेलने या ओपन करने की जरूरत पड़ सकती है। इस बैन के साथ यह बात जोड़ी गई है कि गेम में हिंसा को बढ़ावा दिया गया है और यह प्लेयर्स पर बुरा असर डालता है। खासकर बच्चों के इस गेम से काफी प्रभावित होने और उनके व्यवहार में बदलाव की शिकायतें लगातार आ रही हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि एक समयावधि के बाद प्लेयर के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव आते हैं।

बैन के बाद ट्विटर और सोशल मीडिया पर इसके फैन्स और प्लेयर्स की प्रतिक्रिया भी सामने आई, जिनमें से ज्यादातर ने इस बैन का विरोध किया है। PUBG की ओर से इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं दी गई है।

बता दें, पबजी डाउनलोड करने वालों को 16 साल से कम आयु का नहीं होना चाहिए, यह बात गेम डिस्क्रिप्शन में साफ कही गई है। इसके बावजूद कम उम्र के बच्चों के हाथ में मोबाइल पहुंचने से उनके इस गेम को खेलने और हिंसक होने के मामले बढ़ते दिख रहे थे, जिससे इसे बैन करने की मांग जोर पकड़ती रही है।