केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच करीब एक महीने तक चले टकराव के बीच देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है.
उर्जित पटेल ने अपने बयान में कहा है कि वो निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. पटेल ने कहा कि यह उनके लिए बड़े सम्मान की बात थी कि वह इतने वर्षों तक आरबीआई के साथ अनेक भूमिकाओं में रहे.
Urjit R. Patel: On account of personal reasons, I have decided to step down from my current position (RBI Governor) effective immediately. It has been my privilege and honour to serve in the Reserve Bank of India in various capacities over the years (File pic) pic.twitter.com/PAxQIiQ3hV
— ANI (@ANI) December 10, 2018
गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्रीय बैंक गवर्नर और केन्द्र सरकार में स्वायत्तता को लेकर विवाद खड़ा हुआ था. हालांकि इस विवाद के बाद आरबीआई की ओर से केन्द्र सरकार में बयान दिया गया था कि उसके और केन्द्र सरकार के बीच स्वायत्तता को लेकर कोई विवाद नहीं हैं.
वहीं खबरों के मुताबिक केन्द्र सरकार और आरबीआई के विवाद के बीच केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई के खजाने में पड़े सिक्योरिटी डिपॉजिट को लेकर था. रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार केन्द्रीय रिजर्व से अधिक अंश की मांग कर रहा था.
उर्जित ने 4 सितंबर, 2013 में आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था. पिछले महीने उनके इस्तीफा देने की खबर आई थी लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया था. पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पिछले माह मुलाकात की थी. दोनों के बीच इस विवाद को सुलझाने को लेकर एक फॉर्मूला भी तय हुआ था. इस फॉर्मूले के तहत आरबीआई से पैसे मांगने को लेकर केंद्र नरमी बरतेगा और दूसरी तरफ आरबीआई भी सरकार को कर्ज देने में थोड़ी ढिलाई बरतेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही कशमकश पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था, "मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा क्योंकि हम मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता के विषय में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के सार्वजनिक रुख और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया.
हालांकि इस मौके पर पीएम मोदी ने उर्जित पटेल की तारीफ में दो सिलसिलेवार ट्वीट किए. उन्होंने पहले ट्वीट में कहा, 'डॉ. उर्जित पटेल उच्च क्षमता के अर्थशास्त्री है, जिनकों आर्थिक विषयों से जुड़े सूक्ष्म मुद्दों की गहरी समझ है. उन्होंने बैंकिंग सिस्टम को अराजकता से बाहर निकाला और अनुशासन सुनिश्चित किया. उनके नेतृत्व में आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता कायम की.'
Dr Urjit Patel is an economist of a very high calibre with a deep and insightful understanding of macro-economic issues. He steered the banking system from chaos to order and ensured discipline. Under his leadership, the RBI brought financial stability.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2018
पीएम मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, 'डॉ. उर्जित पटेल पूरी तरह से ईमानदार और पेशेवर हैं. वो करीब 6 साल तक भारतीय रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर और गवर्नर के रूप में कार्यरत रहे. उन्होंने अपने पीछे महान विरासत छोड़ी. हम उनको बहुत याद करेंगे.'
Dr. Urjit Patel is a thorough professional with impeccable integrity. He has been in the Reserve Bank of India for about 6 years as Deputy Governor and Governor. He leaves behind a great legacy. We will miss him immensely.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2018
वहीं, कांग्रेस ने उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर मोदी सरकार को घेरा है. संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों की महाबैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'आरबीआई गवर्नर ने इसलिए पद छोड़ा, क्योंकि वे सरकार के साथ काम करना नहीं चाहते थे.'
Rahul Gandhi: In the middle of the meeting(of opposition leaders),we were told that RBI Guv has resigned because he could no longer work with govt. There was consensus in the room that we've to stop BJP's assault on our institutions- CBI, RBI, EC & on the constitution.#UrjitPatel pic.twitter.com/Y6JwHsRANP
— ANI (@ANI) December 10, 2018
आपको बता दें कि पटेल आरबीआई के 24वें गवर्नर थे. उन्हें सितंबर 2016 में तीन साल के लिए इस पद पर गवर्नर नियुक्त किया गया था. उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली थी. पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रितिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है. वह समिति के अध्यक्ष भी रहे जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव लाए.