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सांकेतिक तस्वीरReuters

पाकिस्तान कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने की कोई कोशिश नहीं छोड़ना चाहता है। अब पाक अफगानिस्तान से 100 से अधिक कट्टर आतंकवादियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने की फिराक में है। यह जानकारी सुरक्षा सूत्रों ने गुरुवार को दी। सूत्रों ने खुफिया एजेंससियों की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि इसके अलावा जैश-ए-मोहम्मद के करीब 15 आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ के लिए नियंत्रण रेखा के पाकिस्तान की ओर लिपा घाटी में आतंकवादी शिविरों में इंतजार में बैठे हैं।

सूत्रों ने बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह अगले कुछ सप्ताहों में कई प्रमुख भारतीय शहरों में प्रमुख प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की योजना कश्मीर में एक के बाद एक कई आतंकवादी हमले करने की है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष यह दिखाया जा सके कि भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय के बाद घाटी में स्थिति तेजी से बिगड़ रही है।

एक सैन्य सूत्र ने कहा, 'हमारे पास इसकी विश्वसनीय खुफिया सूचना है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान से 100 से अधिक कट्टर आतंकवादियों को ला रहा है और उन्हें अगले कुछ सप्ताहों में कश्मीर भेजा जाएगा।'

सूत्रों ने दावा किया कि जैश-ए- मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती रऊफ असगर ने गत 19 अगस्त और 20 अगस्त को आतंकवादी समूह के बहावलपुर मुख्यालय में समूह के शीर्ष कमांडरों के साथ बैठक की थी। इसका प्राथमिक एजेंडा कट्टर आतंकवादियों को कश्मीर में भेजना था।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के खिलाफ कश्मीर पर उसके निर्णय के बाद भड़काऊ बयान दे रहे हैं। उन्होंने हाल में यह भी संकेत किया था कि पुलवामा जैसा हमला फिर से हो सकता है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान का आकलन है कि कश्मीर में स्थानीय आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित नहीं है।

घाटी में आतंकवाद निरोधक अभियानों के चलते इन आतंकवादियों के बीच नेतृत्व का संकट भी है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से पाकिस्तान, अफगानिस्तान से आतंकवादियों को लाने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर को लेकर भारत के निर्णयों के मद्देनजर पाकिस्तान ने भारत विरोधी दुष्प्रचार के लिए अपने सभी विदेशी मिशनों में कश्मीर डेस्क बनाया है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।