-
REUTERS/Darren Ornitz

भारत ने रविवार, 13 जनवरी को कहा कि वह अफगानिस्तान के आर्थिक पुन:निर्माण और युद्धग्रस्त क्षेत्र में ''अफगान नीत, अफगान स्वामित्व वाली एवं अफगान नियंत्रित" शांति एवं सामंजस्य की समावेशी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

यहां ऐतिहासिक भारत-मध्य एशिया संवाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत के पक्ष को रखा जो आतंकवाद से बर्बाद देशों तक संपर्क बढ़ाने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान देता है. स्वराज ने संवाद के पहले सत्र में कहा, "मैं खासकर यह बताना चाहती हूं कि हमारा क्षेत्र आतंकवाद के गंभीर खतरों का सामना कर रहा है.

भारत, मध्य एशिया और अफगानिस्तान ऐसे समाज हैं जो सहिष्णु एवं मिश्रित हैं. आतंकवादी जिस नफरत की विचारधारा को प्रसारित करना चाहते हैं, उसकी हमारे समाज में कोई जगह नहीं है. " उन्होंने कहा, "हमें यह भी पूछने की जरूरत है कि ये आतंकवादी कौन हैं, उनकी आर्थिक मदद कौन कर रहा है, उनका भरण-पोषण कैसे होता है, कौन उनका संरक्षण करता है और प्रायोजित करता है. "

भारत अफगानिस्तान को पुनर्निर्माण, अवसंरचना विकास, क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास एवं संपर्क पर केंद्रित विकास कार्यों के लिए करीब तीन अरब डॉलर की आर्थिक मदद दे रहा है.

उन्होंने बताया कि सितंबर 2017 में शुरू की गई 'नयी विकास साझेदारी' के तहत काबुल शहर में शहतूत बांध पेयजल परियोजना, नांगरहार प्रांत में कम लागत का आवासन, 116 उच्च स्तरीय सामुदायिक विकास परियोजनाएं एवं अवसंरचना के कई अन्य परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है.

स्वराज ने बताया कि भारत एवं मध्य एशियाई देशों के बीच इस विकासशील साझेदारी को आगे ले जाने के लिए भारत ने 'भारत-मध्य एशिया विकास समूह' के गठन का प्रस्ताव दिया है. साथ ही उन्होंने भारत, ईरान एवं अफगानिस्तान के संयुक्त प्रयास का उल्लेख किया जिससे ईरान में चाबहार बंदरगाह बन पा रहा है जो अफगानिस्तान से संपर्क का सुकर मार्ग है.

पहले भारत-मध्य एशियाई संवाद में शामिल होने के लिए स्वराज शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर समरकंद पहुंची. रविवार को सुषमा स्वराज ने संवाद से इतर तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री रसित मेरेडो से मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की.

भारत तुर्कमेनिस्तान के साथ करीबी, दोस्ताना एवं ऐतिहासिक संबंध रखता है और दोनों देश महत्त्वकांक्षी टीएपीआई (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन परियोजना का हिस्से हैं. इस परियोजना से भारत एवं पाकिस्तान की बढ़ती अर्थव्यवस्था को साफ ईंधन मिलेगा. साथ ही भारत के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में लाभप्रद होगा.