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जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने को चुनौती देने समेत इससे जुड़ी करीब 8 याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। इन याचिकाओं में अनुच्छेद 370 खत्म करने, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की वैधता और वहां लगाई गई पाबंदियों को चुनौती दी गई है।

इन्हीं में एक याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की भी है, जिसमें उन्होंने अपने गृह राज्य जाने की इजाजत मांगी है।

इन याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एस. ए. बोबडे और एस. अब्दुल नजीर की बेंच करेगी। जम्मू और कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य के पुनर्गठन की वैधता को चुनौती दी है।

इसके अलावा बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और प्रफेसर शांता सिन्हा ने भी विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से बच्चों को गैरकानूनी रूप से कैद करने के खिलाफ एक याचिका दायर की है।

राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के संस्थापक वाइको की याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें उन्होंने केंद्र और जम्मू-कश्मीर को यह निर्देश देने के लिए कहा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को अदालत के सामने लाया जाए, जिन्हें कथित रूप से नजरबंद करके रखा गया है।

इस दौरान कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें उन्होंने कश्मीर में मीडिया पर लगाए प्रतिबंधों को हटाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़ी जिन याचिकाओं की सुनवाई करेगा उनमें एक याचिका सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की भी है। उन्होंने याचिका में अपने परिवार वालों और रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत मांगी है।

आजाद ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद दो बार राज्य में जाने की कोशिश की है, लेकिन प्रशासन ने उन्हें एयरपोर्ट से वापस भेज दिया। ऐसे में उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुमति मांगी है, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों से मिल सकें।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।