जनसंघ के संस्थापक रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ा था। इस प्रावधान का विरोध करने के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था और 1953 में सलाखों के भीतर ही उनकी मौत हो गई थी। तब से ही जनसंघ और फिर बीजेपी के लिए यह भावनात्मक मुद्दा रहा। 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है' जैसे नारों से भगवा दल ने हमेशा कश्मीर के मुद्दे को भावनात्मक रुख देकर समर्थन जुटाने का प्रयास किया।
आरएसएस, बीजेपी और अन्य तमाम भगवा संगठनों का यह आंदोलन तब से अब तक 66 साल तक चला। अब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के साथ ही मुखर्जी का वह संकल्प पूरा हो गया है। राज्यसभा में आर्टिकल 370 हटाने पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण की शुरुआत ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए की। उन्होंने कहा कि यह मौका है, जब हमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान याद आता है।
बता दें बीजेपी के हमेशा से तीन मुख्य एजेंडे रहे हैं, राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता और 370 को हटाना। ऐसे में अब बीजेपी ने एक तरह से अपने कोर अजेंडे के एक मुख्य संकल्प को पूरा करने का काम किया है। अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करते हुए मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। वहां उनकी मौजूदगी अवैध मानी गई क्योंकि उस समय बाहरी लोगों को राज्य में प्रवेश करने के लिए परमिट हासिल करना होता था।
बीजेपी और इसके हिंदूवादी सहयोगी, मुखर्जी के निधन को संदिग्ध मानते थे। उनका नारा 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे' काफी समय तक पार्टी का नारा बना रहा। शाह की ओर से राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद से ही बीजेपी के कई नेताओं ने एक- एक कर उनके 'बलिदान' को याद किया। जनसंघ के दिनों से ही भगवा दल अलगाववादी गतिविधियों, आतंकवाद और राज्य के जम्मू तथा लद्दाख क्षेत्रों के बीच कथित भेदभाव के लिए अनुच्छेद 370 को दोषी ठहराता रहा है।
सदन में शाह के ऐलान के बाद बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने भावुक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'आज मेरे और कई अन्य लोगों की आंखों में आंसू हैं। हमें आज के दिन का इंतजार था...अनुच्छेद 370 का खात्मा। धन्य धन्य।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हिंदुत्व की राजनीति सही दिशा में है।
आर्टिकल 370 को लेकर सदन में जिस तरह से दूसरे दलों के नेताओं का समर्थन मिला है, उससे बीजेपी को अपने अन्य कोर मुद्दों पर भी समर्थन की उम्मीद जगी है। बीजेपी नेताओं का मानना है कि कश्मीर मुद्दे पर सरकार को न केवल राजग के सहयोगी दलों बल्कि बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बसपा और आप से जिस तरह से सहयोग मिला है, वह दर्शाता है कि हम अपने एजेंडे को लागू करने में कितना सफल रहे हैं। ये ऐसे एजेंडे हैं जो पहले मुख्य धारा के दलों के लिए अस्वीकार्य थे। अयोध्या मामले पर रोजाना सुनवाई के उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय से भी बीजेपी में नई उम्मीद जगी है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।