खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर महीने में बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो तीन साल का सबसे ऊंचा स्तर है। पिछले महीने अक्टूबर में यह 4.62 प्रतिशत पर थी। वहीं, नवंबर 2018 में खुदरा महंगाई दर महज 2.33 प्रतिशत थी। वहीं अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन दर में सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में थोड़ी सुधार देखने को मिली है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालाय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 10.1 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में 7.89 प्रतिशत थी और सालभर पहले -2.61 प्रतिशत थी।
आंकड़ों की मानें तो प्याज, टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में इजाफा होने के कारण नवंबर में महंगाई दर ये उछाल देखने को मिला है। सब्जियों की महंगाई नवंबर में बढ़कर 36 फीसदी हो गई है जो एक महीना पहले 26 फीसदी थी।
नवंबर में शहरी और ग्रामीण इलाकों में खाने-पीने की चीजों के दाम 10.01 फीसदी तक बढ़ गए हैं। हेडलाइन CPI में खाने की हिस्सेदारी 45.9 फीसदी है। सितंबर में प्याज की कीमतों में 45.3 फीसदी इजाफा हुआ, वहीं अक्टूबर में प्याज के दाम 19.6 फीसदी बढ़े हैं।
इससे अधिक खुदरा महंगाई दर जुलाई 2016 में 6.07 प्रतिशत दर्ज की गई थी। सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को महंगाई दर 4 प्रतिशत के दायरे में रखने को कहा है, जिसमें 2 प्रतिशत का मार्जिन भी है।
दूसरी तरफ बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के रूप में मापा जाने वाले औद्योगिक उत्पादन एक साल पहले इसी महीने में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में नरमी दर्ज की गई। इसमें अक्टूबर महीने में 2.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आंकड़े के अनुसार बिजली उत्पादन में अक्टूबर 2019 में तीव्र 12.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पिछले साल इसी महीने इसमें 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
खनन उत्पादन भी आलोच्य महीने में 8 प्रतिशत गिरा जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में इसमें 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.