सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं। कोविड-19 के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को घर ले जाने के लिए रेलवे द्वारा मजदूरों से कथित तौर पर टिकट का पैसा लेने के विवादों के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को यह बात कही।
सरकार ने यह भी कहा कि ''एक-दो राज्यों को छोड़कर'' फंसे प्रवासी मजदूरों की यात्रा प्रक्रिया का समन्वय राज्य सरकारें ही कर रही हैं। यह पूछने पर कि क्या प्रवासी श्रमिकों को घर तक ले जाने के लिए पैसे लिए जा रहे हैं, तो स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि जहां तक प्रवासी श्रमिकों की बात है तो दिशानिर्देशों में स्पष्ट बताया गया है कि संक्रामक बीमारी प्रबंधन के तहत जो जहां है उसे वहीं ठहरना चाहिए।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ''कुछ मामलों में राज्यों के आग्रह पर विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति दी गई। चाहे भारत सरकार हो या रेलवे, हमने मजदूरों से टिकट के पैसे लेने के बारे में बात नहीं की है। उनके परिवहन पर आने वाले 85 फीसदी लागत खर्च को रेलवे उठा रहा है जबकि राज्यों को 15 फीसदी लागत खर्च उठाना है।''
अग्रवाल ने कहा, ''राज्यों के आग्रह पर किसी निश्चित कारण से सीमित संख्या में फंसी प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाना है जिसका समन्वय एक-दो राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्य सरकारें खुद कर रही हैं।''
कोविड-19 की स्थिति पर दैनिक संवाददाता सम्मेलन में अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1074 रोगी ठीक हुए हैं जो एक दिन में ठीक होने वाले रोगियों की सर्वाधिक संख्या है। उन्होंने कहा कि ठीक होने की दर 27.52 फीसदी है और 11,706 रोगी अभी तक ठीक हो चुके हैं।
अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 2553 मामले सामने आए जिससे कुल मामलों की संख्या 42,533 हो गई है। कुल सक्रिय मामलों की संख्या 29,453 है। संयुक्त सचिव ने कहा कि फिलहाल कोविड-19 का ग्राफ सपाट है और यह कहना ठीक नहीं है कि इसका चरम बिंदु कब आएगा।
उन्होंने कहा, ''अगर हम सामूहिक रूप से काम करते हैं तो फिर चरम स्थिति कभी नहीं आएगी, जबकि अगर हम किसी भी तरीके से विफल हुए तो मामले बढ़ सकते हैं।''
नागरिक समाज, एनजीओ, उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय साझीदारों के साथ काम कर रहे अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष अमिताभ कांत ने कहा कि 112 जिलों में ''हमने कलक्टरों के साथ काम किया और इन 112 जिलों में केवल 610 मामले सामने आए जो राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण का दो फीसदी है।''
उन्होंने कहा कि इन 112 जिलों में भारत की 22 फीसदी आबादी रहती है। कांत ने कहा कि बारामूला, नूंह, रांची, कुपवाड़ा और जैसलमेर जैसे कुछ जिलों में 30 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि शेष हिस्सों में काफी कम मामले सामने आए हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा द्वारा लिखा गया है.