फल, सब्जी, चाय, अंडे समेत दलहन, गेहूं और मक्का जैसे खाद्यान्नों के सस्ते हो जाने से फरवरी महीने में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति कम होकर 2.26 प्रतिशत रह गयी। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस साल जनवरी में थोक मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत थी। साल भर पहले यानी फरवरी 2019 में यह 2.93 प्रतिशत पर थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 में खाद्य सामग्रियों की थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2020 के 11.51 प्रतिशत से घटकर 7.79 प्रतिशत पर आ गयी।
इसी तरह आलू और प्याज की थोक मुद्रास्फीति भी जनवरी 2020 के 293.37 प्रतिशत और 87.84 प्रतिशत से कम होकर फरवरी 2020 में क्रमश: 162.30 प्रतिशत और 60.73 प्रतिशत पर आ गयी।
आलोच्य माह के दौरान खाद्य पदार्थों एवं सब्जियों के दाम में 14 प्रतिशत की कमी आयी। इसके अलावा चाय आठ प्रतिशत, अंडा और मक्का सात-सात प्रतिशत, मसाले और बाजरा चार-चार प्रतिशत, चना और ज्वार दो-दो प्रतिशत तथा मीठे जल की मछलियां, सुअर मांस, रागी, गेहूं, उड़द और मसूर एक-एक प्रतिशत सस्ते हो गये।
हालांकि समुद्री मछली और भैंसे का मांस पांच-पांच प्रतिशत, पान के पत्ते चार प्रतिशत, मूंग और मुर्गे तीन-तीन प्रतिशत, बकरे का मांस दो प्रतिशत तथा जौ, राजमा और अरहर एक-एक प्रतिशत महंगे हुये हैं।
ईंधन एवं बिजली श्रेणी में थोक मुद्रास्फीति कम होकर 3.38 प्रतिशत तथा अखाद्य सामग्रियों में कम होकर 6.82 प्रतिशत पर आ गयी।
विनिर्मित वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 0.42 प्रतिशत हो गयी। एलपीजी की थोक मुद्रास्फीति भी जनवरी के 1.78 प्रतिशत से बढ़कर 21.85 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, ''फरवरी 2020 में थोक मुद्रास्फीति में ठीक-ठाक गिरावट देखने को मिली है। यह हमारे अनुमान के अनुकूल है। यह गिरावट मुख्यत: खाद्य सामग्रियों के दाम कम होने तथा कच्चा तेल व खनिजों के दाम में भी कुछ नरमी आने के कारण है। कच्चा तेल और खनिजों के दाम में आयी गिरावट का असर आने वाले महीने में अधिक होने वाला है।''
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.