केरल और महाराष्ट्र में 100 से अधिक लोगों को कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका के मद्देनजर चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने चीन में घातक कोरोना विषाणु के बढ़ते मामलों को लेकर वैश्विक चिंता के बीच इससे निपटने के लिए भारत की तैयारियों की शनिवार को समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि अब तक इस बीमारी का कोई सत्यापित मामला सामने नहीं आया है लेकिन चीन से लौटे सात लोगों के नमूने पुणे की आईसीएमआर-एनआईवी प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। इससे पहले चार अन्य यात्रियों के नमूनों के परीक्षण में भी यह विषाणु नहीं पाया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हर्षवर्धन के निर्देश पर इस बीमारी के संबंध में चौबीस घंटे सातों दिन चलने वाला कॉल सेंटर (+91-11-23978046) शुरू किया गया है।
केरल के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने 'पीटीआई भाषा' को बताया कि राज्य में 172 लोगों को घर पर और सात को विभिन्न अस्पतालों में निगरानी में रखा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि कोरोना विषाणु के संपर्क में आने की आशंका को देखते हुए मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती तीन लोगों में से दो में इसके संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, एहतियातन अब भी उन्हें निगरानी में रखा गया है जबकि तीसरे व्यक्ति के खून के नमूने की जांच के नतीजे का इंतजार है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने चीन में कोरोना विषाणु के फैलने के आलोक में उठाये गये कदमों के बारे में बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर यह बैठक हुई। कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, स्वास्थ्य सचिव, नागर विमानन सचिव और अन्य कई शीर्ष अधिकारियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने मिश्रा को कोरोना विषाणु के संभावित मामलों से निपटने के लिए अस्पतालों और प्रयोगशालाओं की तैयारी तथा इस संदर्भ में तीव्र कार्रवाई दल के कौशल निर्माण के लिए उठाये गये कदमों के बारे में बताया। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने नागर विमानन मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों द्वारा उठाये गये एहतियाती कदमों की भी समीक्षा की।
अधिकारियों ने मिश्रा को बताया कि स्थिति पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मामले के मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों की मदद से लगातार नजर रखी जा रही है। अब तक सात अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर 115 उड़ानों के 20 हजार लोगों का मेडिकल परीक्षण किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान विषाणु के परीक्षण के लिए पूरी तरह कमर कस चुका है और सभी राज्य एवं जिला स्वास्थ्य प्रशासनों को अलर्ट कर दिया गया है।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ''कॉल सेंटर विदेश से आने वाले उन व्यक्तियों की सूची पर नजर रखेगा जो उसे विदेश मंत्रालय उपलब्ध कराएगा। वह उन जिला एवं राज्य सतर्कता अधिकारियों का ब्योरा उन लोगों को प्रदान करेगा जो इसकी मांग करेंगे। कोई चिकित्सकीय परामर्श मांगे जाने पर संबंधित व्यक्ति को समेकित रोग सतर्कता कार्यक्रम अधिकारी से संपर्क करने को कहा जाएगा।''
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन सात राज्यों में बहुविषयक केंद्रीय दलों को भेजने का निर्देश दिया है जहां सात निर्धारित हवाईअड्डों-- नयी दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोच्चि में थर्मल स्क्रीनिंग (एक विशेष मेडिकल परीक्षण) की जा रही है।
हर केंद्रीय दल में एक सावर्जनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, एक क्लीनिशियन (चिकित्सक) और एक सूक्ष्म जीवविज्ञानी होगा। ये दल रविवार को संबंधित राज्यों में पहुंचेंगे।
हर्षवर्धन ने कोरोना विषाणु की रोकथाम और संबंधित चीजों के प्रबंधन की तैयारी का विश्लेषण करने के लिए समीक्षा बैठक की। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बातचीत भी की और उन्हें नेपाल सीमा पर कोरोना विषाणु की चिकित्सा जांच में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। वहां इस बीमारी के एक मामले की पुष्टि होने की खबर है।
केंद्र और राज्यों के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया था कि केरल में सात, मुम्बई में दो, बेंगलुरु और हैदराबाद में एक-एक व्यक्ति को कोरोना विषाणु की चपेट में आने की आशंका के मद्देनजर परीक्षण के बाद निगरानी में रखा गया है। ये उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं जो हाल के दिनों में चीन से लौटे हैं।
हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर राज्यों की तैयारी की समीक्षा के लिए निजी रूप से दखल देने का अनुरोध किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक जनवरी 2020 के बाद चीन की यात्रा करने वालों से ज्वर, कफ, सांस संबंधी परेशानी होने पर निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर स्वयं पहुंचने और इलाज करने वाले डॉक्टर को अपने बारे में बताने की अपील की है।
परामर्श में कहा गया है कि चीन में ठहराव के दौरान यदि किसी को बुखार आए, कफ हो, तब वे खांसते या छींकते समय अपने मुंह को ढककर रखें, तत्काल चिकित्सक से मिलें और चीन में भारतीय दूतावास से संपर्क करें।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.