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पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए नए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने मंगलवार को कहा कि अगर पड़ोसी देश राज्य प्रायोजित आतंकवाद को नहीं रोकता है तो इस स्थिति में भारत के पास आतंक के स्रोत पर हमला करने का अधिकार है। सेना प्रमुख का कार्यभार संभालने के बाद पीटीआई को दिये गए विशेष साक्षात्कार में नरवाने ने कहा कि सेना चीन के साथ लगी सीमा के पास युद्धक क्षमता को बढाएगी ताकि वह किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

उन्होंने कहा, ''खतरा उत्तरी और पश्चिमी हिस्सा दोनों ओर से बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में हम पश्चिमी सीमाओं पर ध्यान दे रहे रहे हैं, जबकि उत्तरी सीमा प्राथमिकता में थोड़ा नीचे थी। एक बार फिर संतुलन बनाने और प्राथमिकताएं तय करने की जरूरत है।'' भारत की समग्र सुरक्षा चुनौतियों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमने प्राथमिकताओं को फिर से संतुलित करने के तहत पश्चिमी सीमा से उत्तरी सीमा पर ध्यान केंद्रित किया है।

सीमा पार के आतंकवाद से मुकाबले पर जनरल नरवाने ने कहा कि हमने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ 'दृढ़ संकल्पित दंडात्मक जवाब' की रणनीति बनायी है। सेना प्रमुख ने कहा, ''अगर पाकिस्तान, राज्य प्रायोजित आतंकवाद की अपनी नीति को नहीं रोकता है तो हमारे पास ऐसी स्थिति में आतंक के खतरे वाले स्रोतों पर हमला करने का अधिकार है और सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट अभियान के दौरान हमारे जवाब में इस सोच की पर्याप्त झलक मिल चुकी है।''

उन्होंने जोर दिया कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में हालात सुधरे हैं। देश के 28 वें सेना प्रमुख ने कहा, ''अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद घाटी में स्थिति सुधरी है। हिंसा की घटनाएं कम हो गयी हैं। आतंकवादियों की करतूतों पर लगाम लगी है। निस्संदेह बहुत सारे सुधार हुए हैं।''

उन्होंने कहा, ''हालांकि, समस्या बनी हुई है। यह दूर नहीं हुआ है। इसलिए चुनौतियों से निपटने के लिए जिस भी कदम की जरूरत होगी, हम हमेशा तैयार रहेंगे।'' उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना की राज्य प्रायोजित आतंकवाद से ध्यान हटाने की सारी कोशिशें नाकाम हो गयी हैं। आतंकवादियों के सफाए और आतंकी नेटवर्क की तबाही के कारण पाकिस्तानी सेना के छद्म युद्ध की मंशा को झटका लगा है।

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे से वह कैसे निपटेंगे, इस बारे में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उकसावे या उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के किसी भी कृत्य का जवाब देने के लिए हमारे पास कई सारे विकल्प हैं। जनरल नरवाने ने कहा कि जम्मू कश्मीर को पुनर्गठित करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने विश्व का ध्यान खींचने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर ली लेकिन उसके प्रयास निष्फल रहे।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्षविराम उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है । चीन के साथ लगी 3500 किलोमीटर की सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर जनरल नरवाने ने कहा हम उत्तरी सीमा के पास क्षमता निर्माण में सुधार करना जारी रखेंगे ताकि जरूरत पड़ने पर हम तैयार रहें ।

उन्होंने कहा, ''वुहान शिखर सम्मेलन के बाद सीमा के पास अमन-चैन बनाए रखने, मतभेदों को सुलझाने और इसे विवाद का रूप देने से बचने के लिए दोनों देशों ने अपने-अपने बलों के लिए रणनीतिक दिशा-निर्देश जारी किये।'' उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देश का असर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दिखा है और विद्यमान मतभेदों, एलएसी को लेकर अलग-अलग समझ और संवेदनशील इलाके में कुछ टकराव के बावजूद दोनों ओर के सैनिकों का रूख सौहार्दपूर्ण है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हम समूचे सैन्य तंत्र में जो महत्वपूर्ण सुधार लाना चाहते हैं, सीडीएस निस्संदेह उन बदलावों की राह तैयार करेंगे । सेना प्रमुख ने कहा कि उनका मुख्य ध्यान किसी भी क्षण किसी भी खतरे से निपटने के लिए सेना को तैयार रखना होगा। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सुधार से दक्षता और संचालन तैयारी में सुधार होगा।

उन्होंने कहा, ''आधुनिकीकरण लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। हम जो भी कर रहे हैं उसका शुरूआती बिंदु क्षमता और संचालन तैयारी को बढाना है।''

सेना के उपप्रमुख रहे नरवाने ने जनरल बिपिन रावत की जगह ली है। जनरल रावत को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया है । उपप्रमुख नियुक्त होने के पहले नरवाने सेना के पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। नरवाने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र रहे हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.