राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अपडेट करने की योजना को लेकर गुरुवार को नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया और बीजेपी ने विपक्ष पर मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के बारे में दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी का एजेंडा ''दुर्भावनापूर्ण'' है।
दोनों प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर हमला बोला और बीजेपी ने एनपीआर को अद्यतन बनाने तथा प्रस्तावित एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं होने पर जोर दिया। इस बीच संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी जारी रहा। उधर, वाम दलों ने सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ एक जनवरी से सात दिनों के देशव्यापी विरोध और आठ जनवरी को आम हड़ताल का आह्वान किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर सीएए के संबंध में भ्रम फैलाने और जनता को गुमराह कर राष्ट्रीय राजधानी का माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शाह ने कहा कि ''टुकड़े टुकड़े गैंग'' को पराजित करने का वक्त आ गया है। दक्षिणपंथी पार्टियां ''टुकड़े टुकड़े गैंग'' के जरिए विपक्ष पर निशाना साधती हैं।
शाह ने सीएए के विरोध में हाल ही में हुए प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया, ''कांग्रेस नीत विपक्ष ने संशोधित नागरिकता कानून पर भ्रम फैलाया। सीएए पर लोगों को गुमराह करके विपक्ष ने दिल्ली के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ दिया।''
बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि न तो सीएए और न ही एनपीआर का एनआरसी के साथ कोई संबंध है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार कर रहा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एनपीआर को अद्यतन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। डेटाबेस में देश के प्रत्येक निवासी के बॉयोमीट्रिक विवरण शामिल होंगे। माधव ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि सीएए या एनपीआर और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है। एनआरसी के आने पर क्या होगा इस पर चर्चा करना अभी जल्दबाजी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा केंद्र को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार किया जा रहा है क्योंकि उनके पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने एनपीआर को लेकर सरकार पर दुर्भावनापूर्ण एजेंडा रखने का आरोप लगाया और दावा किया कि मौजूदा एनपीआर संप्रग सरकार के समय के एनपीआर से बिल्कुल अलग है। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो वह 2010 के एनपीआर का स्पष्ट रूप से समर्थन करे और यह भी स्पष्ट करे कि वह इसे राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) से जोड़ने का इरादा नहीं रखती है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''मुझे खुशी है कि बीजेपी ने 2010 में आरंभ हुए एनपीआर की एक वीडियो क्लिप जारी की है। कृपया इसे सुनिए। हम देश के सामान्य नागरिकों की बात कर रहे हैं। नागरिकता पर नहीं, निवास पर जोर है।''
चिदंबरम ने दावा किया, ''बीजेपी नीत सरकार का व्यापक और दुर्भावनापूर्ण एजेंडा है। इसलिए उनके द्वारा जिस एनपीआर को मंजूरी दी गयी है वह खतरनाक और 2010 के एनपीआर के लिखित ब्यौरे एवं सन्दर्भ से अलग है।''
उन्होंने कहा, ''अगर बीजेपी का इरादा सही है तो सरकार बिन शर्त यह कहे कि वह 2010 के एनपीआर फॉर्म और उसकी रूपरेखा का समर्थन करती है तथा इसे एनआरसी से जोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।''
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि अगर सरकार एनपीआर को एनआरसी के साथ जोड़ने का कदम पीछे नहीं लेती है तो कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीएआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.