उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला प्रशासन राज्य का पहला ऐसा निकाय बन गया है जिसने राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में भड़की हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से नुकसान की वसूली की प्रक्रिया शुरू की है।
यह कदम राज्य में सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 18 लोगों के मारे जाने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा "बदला लिए जाने" की चेतावनी देने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है।
प्रशासन ने आगजनी-तोड़फ़ोड़ में हुए नुकसान का आकलन कर हिंसा के लिए जिम्मेदारी करीब 28 से अधिक लोगों की पहचान कर नुकसान की भरपाई करने के लिए नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। रामपुर के एडीएम फाइनेंस के न्यायालय द्वारा 2 दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस जारी करके 14,86,500 रुपए वसूली के लिए नोटिस जारी किए हैं। नोटिस पाने वालों में एक कढ़ाई करने वाला कारीगर और एक मसाला बेचने वाला भी शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने रामपुर के जिलाधिकारी औंजनेय कुमार सिंह के हवाले से बताया, "पुलिस की तरफ से उपद्रवियों को चिन्हित कर रिपोर्ट भेजी गई थी, जिन्होंने सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इसके साथ ही एक एस्टीमेट भी भेजा गया है कि कितना नुकसान हुआ है। इसी के आधार पर एडीएम फाइनेंस की तरफ से 28 लोगों को रिकवरी का नोटिस भेजा गया है। जिन्हें नोटिस भेजा गया है उन्हें जवाब देने का मौका दिया जाएगा। उसके बाद रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी। आगे भी लोगों की शिनाख्त की जा रही है। आगे इनकी संख्या भी बढ़ सकती है। अभी तक जितने लोगों की शिनाख्त हुई है उनका सियासी लिंक भी सामने आया है। उस पर भी काम चल रहा है। जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में और भी कार्रवाई की जाएगी।"
हिंसा के दौरान पुलिस जीप और कई बाइक को जलाया गया। साथ ही दंगा रोकने के लिए इस्तेमाल की गई टीयर गैस शेल्स, रबर बुलेट्स और पल्स्टिक बुलेट्स से भी अतिरिक्त बोझ पड़ा। इसकी भी रिकवरी की जाएगी।
इस बीच, कढ़ाई कारीगर की माँ ने कहा कि उसके पास पुलिस की हिरासत में बंद अपने बेटे की पैरवी के लिए वकील करने लायक पैसा भी नहीं है। उन्होंने पूछा, "मुझे अब तक जिला प्रशासन की ओर से रिकवरी का कोई नोटिस नहीं मिला है। हमारे पास ज़मीर के लिए वकील की व्यवस्था करने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में हम किसी नुकसान की भरपाई कैसे कर सकते हैं?"
बता दें, 21 दिसंबर को सीएए के विरोध में रामपुर में हुए प्रदर्शन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में पथराव, आगजनी और फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी, जिसके बाद 4 मोटर साइकिलों और पुलिस की एक जीप को आग लगा दी गयी थी। गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करते हुए कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से हम 'बदला' लेंगे।
सीएए का विरोध करते हुए 19 दिसंबर को लखनऊ के खदरा, हुसैनाबाद और परिवर्तन चौक पर तोड़फोड़, पथराव और आगजनी हुई थी। जिला प्रशासन की ओर से गठित कमिटी ने 100 आरोपियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। एक हफ्ते के अंदर उन्हें संबंधित एडीएम कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करना होगा। ऐसा न कर पाने की स्थिति में उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी। क्षतिपूर्ति जमा न करने वालों की संपत्ति सीज करने के साथ ही उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।
मेरठ प्रशासन ने भी हिंसा और तोड़फोड़ के आरोपियों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। 20 दिसंबर को मेरठ में हुए हिंसक प्रदर्शन में तोड़फोड़ और आगजनी के 141 लोगों को नोटिस भेजकर प्रशासन ने 14 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने को कहा है। स्थानीय पुलिस ने 13 एफआईआर के जरिए आरोपियों की पहचान की है।
पूरे राज्य में अब तक लगभग 5,400 लोगों को हिरासत में लिया गया है और लगभग 705 लोगों को जेल भेजा गया है। सरकार द्वारा 250 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई करने की भी उम्मीद है।
पुलिस ने सीसीटीवी और विडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है कि पब्लिक प्रॉपर्टी की क्षतिपूर्ति के लिए उनकी संपत्ति क्यों न जब्त की जाए। यह नोटिस हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के अनुसार भेजी गई है जिसमें कहा गया है कि हिंसा में शामिल लोगों से वसूली कर सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई की जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद जिला प्रशासन तुरंत ऐक्शन में दिखाई दे रहा है।