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दिल्ली की अदालत ने उन्नाव बलात्कार मामले में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में महिला से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए शुक्रवार को कहा कि दोषी विधायक को बाकी बची उम्र जेल में काटनी होगी। मामले की सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी करते हुए अदालत ने कहा था कि सीबीआई साबित नहीं कर सकी कि वह पीड़िता के यौन उत्पीड़न के मामले में सेंगर की साजिश में शामिल थी। ऐसा लगता है कि वह खुद भी परिस्थितियों की शिकार थी।

जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने मामले में सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जो उसे एक महीने के अंदर जमा करना होगा। न्यायाधीश ने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि भुगतान न किये जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खजाने से रकम देनी होगी जैसा कि दंड प्रक्रिया संहिता में प्रावधान है।

दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि सेंगर को फांसी की सजा दी जाएगी क्योंकि सिर्फ इसी से उन्हें सुरक्षा महसूस होती। पीडिता की मां और बहन ने कहा कि फांसी नहीं हुई तो हम संतुष्‍ट नहीं है। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें सेंगर के जेल में होने के बाद भी डर है। उन्होंने कहा कि यदि उसे फांसी नहीं होगी ''तो वह बाहर निकलेगा और हम लोगों को मार देगा।''

पीड़िता की बहन ने कहा, "कुलदीप सेंगर को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए था जिससे हमें पूर्ण न्याय मिलता। हम सभी पूर्ण रूप से संतुष्ट होते क्योंकि तब हमारी सुरक्षा सुनिश्चित होती।" वारदात के वक्त पीड़िता की उम्र 17 साल बताई जा रही है।

अदालत ने यह भी कहा कि 53 वर्षीय सेंगर का आचरण बलात्कार पीड़िता को धमकाने का था। साथ ही अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि बलात्कार पीड़िता को उनकी मां के लिए 10 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। अदालत ने कहा,"दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है जिसका आशय उन्हें बचे हुए प्राकृतिक जीवन तक कैद में रहना होगा जैसा की भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) में प्रावधान है।" सेंगर को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा।

उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद सेंगर तीस हजारी जिला अदालत परिसर के अदालत कक्ष में रो पड़ा। न्यायाधीश ने सेंगर को सजा सुनाने में नरम रवैया अख्तियार करने की अर्जी को खारिज करते हुए कहा, ''इस अदालत को ऐसी कोई परिस्थिति नजर नहीं आती जो गंभीरता कम करती हो। सेंगर जनसेवक था और उसने जनता से विश्वासघात किया।''

अदालत ने सीबीआई को पीड़िता और उसके परिजनों की जान तथा सुरक्षा पर खतरे का आकलन हर तीन महीने में करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वे एक साल तक दिल्ली महिला आयोग द्वारा उपलब्ध कराये गये किराये के घर में रहेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार को 15 हजार रुपये प्रति महीने किराया अदा करने का निर्देश भी दिया गया।

उन्होंने कहा, "...सीबीआई यह भी सुनिश्चित करे कि वो जिस किराये के घर में रह रहे हैं उसकी लीज उचित समय तक के लिये आगे बढ़ाई जाए और किसी भी मामले में सीबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए की पीड़िता और उसके परिवार के जीवन व स्वतंत्रता की रक्षा हो, जिसमें उनके द्वारा इच्छा व्यक्त करने पर सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराना या नई पहचान मुहैया कराना शामिल है।"

अदालत ने कहा कि आगे किसी भी सहायता की जरूरत पड़ने पर पीड़ित लड़की या उसके परिजन दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव या जिला गवाह संरक्षण समिति, दिल्ली से उचित कार्यवाही के लिये संपर्क कर सकते हैं। अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के तहत दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत किसी लोकसेवक द्वारा किसी बच्ची के खिलाफ यौन हमला किए जाने के अपराध का दोषी ठहराया था। अदालत ने कहा था कि पीड़िता का बयान एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ 'सच्चा और बेदाग' है।

पॉक्सो कानून में इसी साल अगस्त में संशोधन किया गया था जिसमें मृत्युदंड का प्रावधान है। यह घटना कानून संशोधित होने से पहले 2017 में घटने की वजह से मामले में यह प्रावधान लागू नहीं होता।

पॉक्सो कानून के तहत सेंगर को दोषी करार देते हुए अदालत ने कहा था कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और सेंगर पर इस कानून के तहत उचित तरीके से मुकदमा चलाया गया।

एक अलग मामले में इसी महिला के साथ 11 जून, 2017 को तीन अन्य लोगों ने उन्नाव में कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है। इस साल 28 जुलाई को बलात्कार पीड़िता की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गयी। हादसे में महिला की दो रिश्तेदारों की मौत हो गयी। इस मामले में महिला के परिवार ने साजिश का आरोप लगाया था।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.