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सांकेतिक तस्वीरReuters

भारतीय अर्थव्यवस्था में जारी गिरावट के दौर के बीच फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5 प्रतिशत से घटाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया। उसका मानना है कि इस समय कंपनियों और उपभोक्ताओं का आत्म विश्वास कम हो रहा है। हालांकि एजेंसी ने देश की दीर्घकालिक वित्तीय साख 'बीबीबी' के स्तर पर बरकार रखी है और आगे के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर बताया है।

इस खबर के बीच शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार की रिकॉर्ड तेजी पर भी ब्रेक लग गया और कारोबार के अंत में सेंसेक्‍स मामूली 7.62 अंक की बढ़त के साथ 41,681 अंक पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में 12 अंकों की बढ़त रही और यह 12,271. अंक के स्‍तर पर रहा। कारोबार के दौरान सेंसेक्‍स 41,810 अंक पर रहा, जो अब तक का उच्‍चतम स्‍तर है। इसी तरह निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई 12 हजार 293 अंक के स्‍तर पर पहुंच गया था।

फिच का अनुमान है कि 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 5.6 प्रतिशत और 2021-22 में 6.5 प्रतिशत तक जा सकती है। रेटिंग एजेंसी की राय में मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों में ढील व इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश से वृद्धि दर में क्रमिक सुधार होगा।

एजेंसी ने कहा, 'फर्मों और उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास गिरने और मुख्यत: गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पास कर्ज के लिए धन के संकट जैसे घरेलू कारकों के प्रभाव में पिछली कुछ तिमाहियों में वृद्धि दर काफी गिरावट आई है, लेकिन इसके बाद भी हमने देश की आर्थिक वृद्धि दर का परिदृश्य ठोस रखा है।'

बीबीबी श्रेणी के अन्य देशों की तुलना में भारत की मध्यावधिक वृद्धि का परिदृश्य अब भी ज्यादा मजबूत है। इसका एक बड़ा करण यह है कि सार्वजनिक ऋण का स्तर ऊंचा होने, वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों, राजकाज और प्रति व्यक्ति जीडीपी समेत कुछ बुनियादी बातों में कमी के सूचकांकों व प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) समेत कुछ संरचनात्मक बातों में पीछे रहने के बाद भी विदेशी मुद्रा के मजबूत भंडार के कारण बाह्य जोखिमों से जूझने की भारत की क्षमता ज्यादा है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.