इस साल दुनियाभर में 49 पत्रकारों की हत्याएं हुईं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने मंगलवार को कहा कि पिछले 16 सालों में पत्रकारों की हत्या का यह आंकड़ा सबसे कम है। इस पैरिस स्थित संगठन ने साथ में आगाह भी किया कि 'पत्रकारिता सबसे खतरनाक पेशा' बना हुआ है।
इस साल जो पत्रकार मारे गए उनमें से ज्यादातर की यमन, सीरिया और अफगानिस्तान में संघर्षों को कवर करने के दौरान हत्याएं हुईं।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर ने बताया कि पिछले 2 दशकों से ज्यादा समय से हर साल दुनियाभर में औसतन 80 पत्रकारों की हत्याएं हो रही हैं। संस्था ने साथ में यह भी कहा कि शांत माने जाने वाले देशों में भी पत्रकारों की काफी हत्याएं हुईं हैं। इस साल 10 पत्रकार अकेले मेक्सिको में मारे गए।
लैटिन अमेरिका में इस साल सबसे ज्यादा 14 पत्रकारों की हत्याएं हुईं और यह पत्रकारों के लिए मिडल ईस्ट जितना ही खतरनाक साबित हुआ है।
इस साल देशभर में करीब 389 पत्रकारों को जेल में डाला जो पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत ज्यादा है। इनमें से करीब आधे तो सिर्फ तीन देशों- चीन, मिस्र और सऊदी अरब के हैं।
सऊदी अरब पर तो पिछले साल इस्तांबुल में अपने दूतावास के भीतर पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या का आरोप है।
'आरएसएफ' के अनुसार विश्वभर में 57 पत्रकारों को बंदी भी बना कर रखा हुआ है। इनमें से अधिकतर सीरिया, यमन, इराक और यूक्रेन में बंदी बनाए गए हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.