अमेरिका ने भारत को 1 अरब डॉलर की नौसैन्य तोपें बेचने का फैसला लिया है। इन तोपों के मिलने से भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा होगा। बता दें कि बीते तीन साल में भारत ने करीब 5.67 अरब डॉलर के रक्षा समझौते किए हैं। लोकसभा में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि दोनों देशों के बीच 21 रक्षा सौदे हुए हैं।
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को दी गई जानकारी में कहा कि उसने भारत को 1 अरब डॉलर यानी करीब 7100 रुपये की एमओडी-4 नेवी तोपों को बेचने के फैसले को मंजूरी दी है। इन्हें युद्धक जहाजों, ऐंटी-एयरक्राफ्ट और किनारे पर बमबारी करने में सक्षम जहाजों पर तैनात किया जाएगा।
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने मंगलवार को जारी अपनी अधिसूचना में कहा कि 13 एमके-45 पांच इंच/62 कैलिबर (एमओडी 4) नौसैनिक तोपों और उनसे संबंधित उपकरणों की प्रस्तावित विदेशी सैन्य बिक्री की अनुमानित लागत 1.0210 अरब डॉलर है। अधिसूचना में कहा गया है कि बीएई सिस्टम्स लैंड एंड आर्मामेंट्स द्वारा बनाए जाने वाले इन हथियारों की प्रस्तावित बिक्री से भारत को दुश्मनों के हथियारों से मौजूदा और भविष्य के जोखिमों से निपटने में मदद मिलेगी।
इन तोपों का इस्तेमाल युद्ध पोतों तथा युद्धक विमानों के खिलाफ और तटों पर बमबारी के लिए किया जाता है और इससे भारतीय नौसेना की मारक क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी।
अधिसूचना में कहा गया है, 'एमके-45 गन सिस्टम से अमेरिका और अन्य संबद्ध बलों के साथ अंतर-क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ एंटी-सर्फेस युद्ध और एंटी-एयर रक्षा मिशन का संचालन करने की क्षमता मिलेगी।'
इसमें कहा गया है कि इस बढ़ी हुई क्षमता की मदद से भारत क्षेत्रीय खतरों से निपटने और अपनी जमीन की रक्षा करने में सक्षम होगा। इसमें आगे कहा गया है कि इस उपकरण की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में बदलाव नहीं होगा।
अधिसूचना के मुताबिक इस संभावित बिक्री की सूचना की कानूनी मंजूरी जरूरी है और इसका ये अर्थ नहीं है कि बिक्री हो चुकी है। अभी तक इन तोपों को ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया को ही बेचा गया है। थाईलैंड को मोड 4 का उन्नत संस्करण दिया गया है। ब्रिटेन और कनाडा जैसे अपने मित्र देशों को भी अमेरिका इन तोपों की बिक्री करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इन हथियारों को हासिल करने से भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। ट्रंप प्रशासन के नोटिफिकेशन के मुताबिक इन्हें BAE सिस्टम्स लैंड ऐंड आर्मामेंट्स ने तैयार किया है। इससे भारत की क्षमता में इजाफा होगा और नौसेना मौजूदा एवं भविष्य के खतरों से बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम होगी।
इस बीच फ्रांस ने तीन राफेल लड़ाकू विमान भारत को सौंप दिए हैं। अब इन पर एयरफोर्स के पायलटों और इंजिनियरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। बता दें कि 8 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पैरिस में पहला राफेल जेट सौंपा था। 4 राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप मई 2020 में भारत आएगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.