महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच सोमवार, 11 नवंबर को केंद्र की मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से शामिल इकलौते इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने पद से इस्तीफे का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर अड़ी शिवसेना और बीजेपी के बीच गतिरोध अब खत्म होता नजर नहीं आ रहा है।
केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री और शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने ट्वीट करके कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले दोनों में सीट शेयरिंग को लेकर एक फॉर्मुला तय हुआ था, दोनों की उस पर सहमति हुई थी। उस फॉर्मुले को नकार कर शिवसेना को झूठा ठहराकर महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर कलंक लगाने की कोशिश की गई है। शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। इतने झूठे माहौल में दिल्ली में क्यों रहें? इसीलिए मैं केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इस संबंध में आज सुबह 11 बजे मैं दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा हूं।
शिवसेनेची बाजू सत्याची आहे. अशा खोट्या वातावरणात दिल्लीतील सरकार मध्ये तरी का रहायचे?
— Arvind Sawant (@AGSawant) 11 November 2019
आणि म्हणूनच मी केंद्रीय मंत्री पदाचा राजीनामा देत आहे. या संदर्भात आज सकाळी ११.०० वा. दिल्ली येथे मी पत्रकार परिषद (Press Conference) घेणार आहे.
अरविंद सावंत दक्षिणी मुंबई से सांसद हैं और केंद्र में शिवसेना के कोटे से मंत्री हैं। उन्हें बाहरी उद्योग मंत्रालय दिया गया था, लेकिन अब उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर भी है कि एनसीपी ने समर्थन के बदले शिवसेना से एनडीए से अलग होने की मांग की है।
महाराष्ट्र में बीजेपी के बाद शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि, बहुमत के आंकड़े के लिहाज से सेना काफी दूर है और उसे सरकार बनाने के लिए एनसीपी के साथ कांग्रेस के भी सहयोग की जरूरत है। सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक सरकार में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन इस बारे में अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को ही लेना है। इस बीच ऐसी चर्चा भी है कि शिवसेना के वरिष्ठ नेता आज एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिल सकते हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी वहीं शिवसेना 56 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था लेकिन 50-50 फॉर्मूले की वजह से दोनों दलों में मतभेद हो गया, जिस कारण राज्य सरकार के गठन का मामला अधर में लटक गया। राज्यपाल की तरफ से सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता दिया गया था, जिसके जवाब में बीजेपी ने सरकार बनाने पर अपनी असमर्थता जता दी है।
रविवार को बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक के बाद राज्य ईकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि हमने राज्य में सरकार न बनाने का फैसला लिया है। राज्यपाल को भी इसकी जानकारी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से सरकार बनाने की स्थिति में है तो हम उन्हें अपनी शुभकामनाएं देते हैं। पाटिल ने कहा, बीजेपी -शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसे जनादेश मिला लेकिन शिवसेना जनमत का अनादर कर रही है।
बीजेपी के इनकार के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। शिवसेना राज्य में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। राजभवन के अधिकारी ने बताया, शिवसेना को सोमवार (11 नवंबर) शाम साढ़े सात बजे तक सरकार बनाने पर अपने रुख की जानकारी देनी होगी।
गौरतलब है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली है। विपक्षी कांग्रेस को 44 जबकि एनसीपी को 54 सीटों पर जीत मिली है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।